
अंतरिक्ष में पदार्थ की पांचवीं अवस्था के सबूत मिले
ब्रह्मांड की गुत्थियां सुलझाने की दिशा में अहम खोज हुई है। वैज्ञानिकों को पहली बार अंतरिक्ष में पदार्थ की पांचवीं अवस्था के सबूत मिले हैं। इससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता लगाने में मदद मिलेगी। इस रिसर्च को नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है। भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस और अल्बर्ट आइंस्टीन ने पदार्थ की इस अवस्था के बारे में वर्ष 1920 में बताया था। इसलिए इसे बोस-आइंस्टाइन कंडेंसेट्स (बीईसी) कहते हैं। यह प्रयोग अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आइएसएस) में किया गया है।
धरती पर इसका अध्ययन असंभव
बीईसी की अवस्था से छेड़छाड़ की जाती है तो वे गर्म हो सकते हैं, क्योंकि वे हमेशा परम शून्य तापमान पर होते हैं। थोड़ा सा भी गर्म होने पर पदार्थ की पांचवीं अवस्था खत्म हो जाएगी। इस कारण पृथ्वी पर इनका अध्ययन असंभव है।
आइएसएस पर किया गया यह प्रयोग
आइएसएस में पांचवीं अवस्था बनाना बेहद कठिन था। पहले बोसोन (ऐसे परमाणु, जिनमें प्रोटान और इलेक्ट्रान बराबर हो) को लेजर तकनीक से परम शून्य तापमान तक ठंडा किया जाता है। जैसे-जैसे परमाणुओं की गति धीमी होती है, वे ठंडे होने लगते हैं। वैज्ञानिकों ने रूबीडियम धातु से बीईसी बनाया।
यों बनती है पदार्थ की पांचवीं अवस्था?
यह अवस्था तब बनती है, जब किसी तत्व के परमाणुओं को परम शून्य (माइनस 273.15 डि. से.) तक ठंडा किया जाता है। उस तत्व के सारे परमाणु एक हो जाते हैं। इसे पदार्थ की पांचवी अवस्था कहते हैं। किसी पदार्थ में परमाणु अलग-गति करते हैं, लेकिन ५वीं अवस्था में एक ही बड़ा परमाणु होता है।
पदार्थ की चार अवस्थाए
पदार्थ की चार अवस्थाएं होती हैं। ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा। प्लाज्मा गैसीय अवस्था ही होती है, लेकिन यह आयनित होती है।ं
Published on:
13 Jun 2020 06:20 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
