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जॉब वर्क के लिए ई—वे बिल की अनिवार्यता खत्म

अब 50 किमी के दायरे में नहीं चाहिए होगा ई—वे बिल। हैंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल और स्टील उद्योग के लिए राहत

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प्रदेश सरकार ने जीएसटी के संबंध में कुछ अहम फैसले लिये हैं। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब 50 किमी के दायरे में जॉब वर्क के लिए कोई भी सामान ले जाने के लिए किसी भी कारोबारी को ईवे बिल जनरेट नहीं करना होगा। सरकार का यह निर्णय प्रदेशवासियों और हैंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल और स्टील उद्योग के लिए राहत लेकर आया है। इन तीनों उद्योग में जॉब वर्क बहुत होता है। यह सारा जॉब वर्क फैक्ट्री से बाहर अलग-अलग लोगों या ठेकेदारों से करवाया जाता है। इसमें कारविंग, पाउडर कोटिंग, मेटल, कटिंग, पॉलिश आदि प्रमुख हैं। इसके लिए बार-बार ईवे बिल जारी करना पड़ता था। अब बिना ईवे बिल जारी किए यह काम हो सकेगा। कई दिनों से यह मांग उठ रही थी और पत्रिक टीवी ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, हरियाणा आदि प्रदेशों में उद्यमियों को ऐसी राहत पहले ही दी जा चुकी हैं। पर टैक्स प्रोफशनल्स ने राहतों को नाकाफी बताया है।

वहीं, कल जीएसटी के संबंध में एक और अहम फैसला लिया गया है। जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक में मिली अनुमति के अनुसार अब प्रदेश में माइग्रेशन विंडो शुरू करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इससे उन करदाताओं को लाभ मिलेगा जिन्होंने प्रोविजनल आईडी तो प्राप्त कर लिया है पर वे माइग्रेशन पूरा नहीं कर पाए थे। शासन सचिव वित्त प्रवीण गुप्ता ने बताया है कि ऐसे कर दाता जिन्होंने पहला पार्ट भर दिया है पर दूसरा पार्ट नहीं भर सके हैं वे इसके लिए 31 अगस्त 2018 तक अपने क्षेत्र के नोडल अधिकारी से आवश्यक विवरण के साथ संपर्क कर सकते हैं। ये अधिकारी इन करदाताओं के विवरण को आगे जीएसटी नेटवर्क पर पंजीकरण के लिए भेजेंगे। साथ ही गुप्ता ने बताया कि रिटर्न फाइल में देरी को माफ करने का निर्णय भी जीएसटी काउंसिल में किया गया है। ऐसे करदाता रिटर्न भरते समय तो लेट फीस जमा करेंगे पर यह लेट फीस उन्हें बाद में रिफंड कर दी जाएगी।