
फर्जी खबरों के खिलाफ एकजुट हुआ विश्व
फे क न्यूज आज के दौर का एक ट्रेंडिंग टॉपिक है जिसकी वजह से सोशल साइट्स पर नकली खबरों की बाढ़ आ गई है। ये खबरें न तो सच होती हैं और न ही इनमें नैतिकता व निष्पक्षता होती हैं। ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक तेजी से प्रसारित होती हैं और अंत में समाज, किसी खास समुदाय या व्यक्ति को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। ऐसे में दुनिया के तमाम देश फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हाल में व्हाट्सएप ने फेक न्यूज व वीडियो की अफवाह की वजह से कई जगह हुई हिंसा की घटनाओं को देखते हुए नया फीचर लॉन्च किया है जिसमें यूजर्स को यह पता चल पाएगा कि मैसेज फॉरवर्डेड है या नहीं?
जर्मनी ने किया जुर्माने का प्रावधान
ज र्मनी, कई सालों से फेक न्यूज का सामना कर रहा था। यहां की सरकार ने पाया कि अमरीकी चुनावों तक में फेक न्यूज हावी थी इसलिए इस पर लगाम लगाने के लिए जर्मनी की संसद ने जून, 2017 में एक कानून बनाया ताकि सोशल मीडिया पर नफरत भरे भाषणों, बाल अश्लीलता, आतंकी वस्तुओं और झूठी सूचनाओं को रोका जा सके। इस कानून के तहत फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को 50 मिलियन यूरो (58 मिलियन अमेरिकी डॉलर) तक जुर्माना लगाया जा सकता है यदि वे ऐसी अवैध सामग्री को हटाने में असफल रहते हैं। इसके लिए सोशल साइट को अधिकतम 24 घंटे का समय मिलता है कि वह आपत्तिजनक सामग्री को हटा लें। इस कानून के तहत आपत्तिजनक कंटेंट होने की स्थिति में फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल साइट्स के निदेशकों पर व्यक्तिगत रूप से पांच मिलियन यूरो का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लेकिन इसके ठीक उलट आलोचकों का कहना है कि इस तरह का प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने जैसा है।
फ्रांस में चल रही कवायद
चुनावों के दौरान खबरों को तोड़मरोड़ कर पेश करने से निपटने के लिए फ्रांस की संसद में दो विवादास्पद मसौदा कानूनों पर चर्चा चल रही है। यह कानून एक उम्मीदवार या राजनीतिक दल को अदालतों से राष्ट्रीय चुनाव से तीन माह के भीतर झूठी खबर या गलत जानकारी के प्रकाशन को तत्काल हटाने का आदेश देने के लिए कहने में सक्षम करेगा। हालांकि, विपक्षी सांसद इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कह रहे हैं।
थाईलैंड ने जारी किया एप
देश में फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल थाईलैंड ने मीडिया वॉच नाम से एक एप बनाया था। इस एप के जरिए लोग झूठी या भ्रामक खबरों की शिकायत कर सकते थे। लेकिन हाल में उत्तरी थाईलैंड की गुफा में दो हफ्तों तक 12 बच्चे फंसे रहे और इस दौरान फर्जी खबरों का प्रसार भी लगातार होता रहा जिसने लोगों को काफी परेशान किया। इसे देखते हुए अब प्रशासन सख्त नियम बनाने पर विचार कर रहा है।
मलेशिया ने बनाया छह साल की सजा संंबंधी कानून
फे क न्यूज के मद्देनजर आंशिक या पूर्ण रूप से झूठी जानकारी के प्रसार को दंडित करने के लिए अप्रैल, 2018 में मलेशियाई संसद ने छह साल की सजा या 5 लाख आरएम (84 लाख रुपए) का जुर्माना या दोनों, संबंधी एक कानून को मंजूरी दी। फेक न्यूज पर नियंत्रण न कर पाने की स्थिति में तत्कालीन सरकार को पिछले काफी समय से विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। यहां मई में चुनाव हुए और विपक्ष को सत्ता में आने का मौका मिल गया। इस पर लोगों को लगा कि सरकार इस नए कानून को समाप्त कर देगी। लेकिन नए प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने जनता को चकित करते हुए कहा कि इस कानून की समीक्षा होगी लेकिन इसे समाप्त नहीं किया जाएगा।
ब्राजील ने स्कूलों में मीडिया विश्लेषण अध्ययन किया अनिवार्य
इन दिनों ब्राजील में भी फर्जी खबरें एक बड़ी समस्या बन गई हैं। इसी के मद्देजनर भविष्य की पीढ़ी को जागरूक और सुरक्षित बनाने के लिए ब्राजील ने स्कूलों में मीडिया विश्लेषण अध्ययन को अनिवार्य कर दिया है। ब्राजील के शिक्षा विशेषज्ञ नोवा एस्कोला के संपादकीय निदेशक लेन्ड्रो बेगुसी के अनुसार इसका लक्ष्य छात्रों को नकली खबरों की पहचान करना सिखाना है और अब यह राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का हिस्सा है क्योंकि देश ने यह जरूरी फैसला लिया है। देश में अक्टूबर में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं लेकिन फिलहाल सरकार फेेक न्यूज के खिलाफ जंग लड़ रही है। फर्जी खबरों को लेकर ब्राजील की संसद में लगभग 14 प्रारूपों को कानून बनाने पर विचार चल रहा है। इस प्रारूप में से एक उच्च सदन में पहले ही पारित हो चुका है, जिसके अनुसार स्वास्थ्य, सुरक्षा, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, चुनावी प्रक्रिया या जनता के हित के अन्य सभी विषयों से संबंधित झूठी सूचना के इंटरनेट पर प्रसार के लिए तीन वर्ष तक जेल की सजा हो सकती है। जून में ब्राजील के 35 राजनीतिक दलों में से 10 ने झूठी सूचना के प्रसार से लडऩे के लिए चुनाव प्राधिकरण के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
Published on:
15 Jul 2018 11:24 am
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