प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि प्रथम और ब्रजेश ने शहर नहीं ग्रामीण इलाकों को टारगेट किया। इन क्षेत्रों से आने वाले लोगों को ही नोट दिए गए या नोट देने के बाद सख्त हिदायत दी गई कि इनको शहरी क्षेत्रों में नहीं चलाएं। पूछताछ में ये भी सामने आया है कि शेखावटी क्षेत्र में नोटो की सप्लाई कई बार की गई है। यह काम वे काफी समय से कर रहे थे और हर कुछ दिन में जगह बदल देते थे ताकि भेद खुलने का डर ही नहीं रहे। मकान मालिक को भी समय पर किराया दे दिया जाता था जिससे वह भी बार बार परेशान नहीं करता था। प्रथम और ब्रजेश से कुछ मोबाइल नंबर एसओजी ने बरामद किए हैं हांलाकि इनमें से अधिकतर नंबर खबर छपने के बाद से ही बंद हैं। ये नंबर उनके सप्लायर्स के हैं।
एसओजी अफसरों ने बताया कि प्रथम और ब्रजेश सिर्फ आॅर्डर पर ही काम करते थे। पहले पार्टी को सैंपल दिया जाता था और कई बार तो पार्टी के साथ ही खुद ही सैंपल लेकर बाजार में उसे चलाने जाते और जब नोट आसानी से चल जाता था तो आॅर्डर बुक नोट छापने का काम शुरु हो जाता था। एसओजी ने जो करीब छह लाख रुपए के जाली नोट बरामद किए हैं। ये भी किन्हीं दो जनों का आॅर्डर बताया जा रहा है। हांलाकि इस बारे में पूछताछ लगातार जारी है।
पुलिस अफसरों का कहना है कि पांच सौ और दो सौ के हूबहू नोट छापने के बाद भी नोटों में बहुत सी कमियां हैं। सबसे बड़ी कमी है कागज की जिस पर नोट छापा गया है। यह कागज सरकार ही उपलब्ध कराती है और इसी पर नोट छापे जाते हैं। नोट छापने के अलावा इस विशेष प्रकार के कागज को अन्य किसी काम में नहीं लिय जाता। सामान्य कागज से यह कागज पतला होता हैं वहीं नोट मे वाटर मार्क और चांदी की रेखा को भी इस तरह से छापा जाता है कि उसे काॅपी नहीं किया जा सके और आसानी से असल और नकल में फर्क किया जा सके। साथ ही नोट को नीली रोशनी में रखकर देखने से उसमें धातु के टुकडों की चमक दिखाई देती है।