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कर्जमाफी के बावजूद महाराष्ट्र में किसान बेहाल हैं। सरकारी आकड़ों के मुताबिक पश्चिमी विदर्भ में बीते 21 साल में 18,595 किसानों ने खुदकुशी की है। किसी एक साल में किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा 1295 मामले 2006 में दर्ज किए गए। चालू साल में अक्टूबर तक 930 किसान जान दे चुके हैं। भारी बारिश-बाढ़ से इस साल खरीफ फसल खराब हो गई। इस कारण ज्यादातर किसान आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। ज्यादा परेशान वे किसान हैं जिन्होंने कर्ज लेकर खेती की थी। उपज खराब होने से लोन चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। पिछले साल अमरावती संभाग में 1179 किसानों ने खुदकुशी की थी। किसानों के हित में काम करने वाले स्वयं सेवी संगठनों को आशंका है कि इस साल आकड़ा बढ़ा सकता है। विदित हो कि यूपीए सरकार ने 2008 में किसानों को कर्ज माफी का लाभ दिया था। राज्य सरकार भी पांच साल में दो बार कृषि कर्ज माफ कर चुकी है।
8,576 परिवारों को ही मदद
खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवारों को सरकार की ओर से एक लाख रुपए की सहायता मिलती है। आकड़ों के मुताबिक केवल 8,576 परिवारों को ही आर्थिक मदद मिली है। स्वयं सेवी संगठनों का कहना है कि सहायता राशि 16 साल पहले तय की गई थी। प्रभावित परिवारों की मदद के लिए इसमें बढ़ोतरी करनी चाहिए।
सरकारी उपाय
किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए सरकार व एनजीओ जागरुकता मुहिम चला रहे हैं। किसानों की काउंसलिंग की जाती है। खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सुविधा प्रदान की जाती है। प्रभावित परिवारों के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की गई है।
Published on:
09 Dec 2022 09:12 pm
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