
आग की लपटों में अपने जिगर के टुकड़ों को खोने वाले संजीव गर्ग रविवार को साफ सफाई के लिए विद्याधर नगर सेक्टर ९ स्थित उसी हादसे वाले मकान पहुंचे। उनके साथ रिश्तेदार भी थे, जो खाक हुए सामान को निकालवाने में मदद कर रहे थे। कुछ लोग अंदर कमरे और हॉल में पड़े मलबे को बाहर निकाल लोडिंग वाहन में भर रहे थे। रिश्तेदारों ने बताया कि मकान में बच्चों की यादें रह रहकर ताजा हो रही थीं। पिता संजीव भी अपने आपको संभाल नहीं पा रहे थे। मकान में आते ही हादसे वाली रात का मंजर ताजा हो जाता है। (सभी फोटो- संजय कुमावत)

विद्याधर नगर में संजीव गर्ग के घर के हॉल में लगी घड़ी सूई यही कह रही है कि उसके थमने के साथ पांच जिंदगियां भी थम गईं। आग की चपेट में आने से घड़ी फर्श पर जली हुई मिली, लेकिन उसकी सुई बंद होने का समय बता रही थी। घड़ी में पौने पांच बजे सुइयां थम गईं थीं। घड़ी की सूई कह रही, पौने पांच बजे सब कुछ खत्म।

यादों में रह गया निमेश- निमेश के कमरे में रखा उसका चश्मा।

कमरे में अधजली पड़ी दादाजी महेन्द्र की चप्पले।

जलकर पूरा खाक हुआ किचन।

बच्चों में बनाया था माता-पिता की फोटोओं का कोलाज

घर में स्थित मंदिर।

आग से मलबे में तब्दील कमरा।

बच्चों में बनाया था माता-पिता की फोटोओं का कोलाज


मकर संक्रांति पर पूरे मोहल्ले में किसी ने नहीं उड़ाई पतंग। पूरे मोहल्ले में छाया रहा गम।


