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Online Fraud: 7 माह में 1750 करोड़ की धोखाधड़ी, रोज 3 लाख लोग दर्ज कराते है शिकायतें

पिछले सात माह में करीब 1750 करोड़ रुपए से अधिक के ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामने आए है। यह तो वो आंकड़ा है, जो ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों ने मामला दर्ज कराया हैं।

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7 माह में 1750 करोड़ की धोखाधड़ी, रोज 3 लाख लोग दर्ज कराते है शिकायतें

7 माह में 1750 करोड़ की धोखाधड़ी, रोज 3 लाख लोग दर्ज कराते है शिकायतें

पिछले सात माह में करीब 1750 करोड़ रुपए से अधिक के ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामने आए है। यह तो वो आंकड़ा है, जो ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों ने मामला दर्ज कराया हैं। यह आंकडा इससे कई गुना अधिक है, जो कि जानकारी के अभाव में सामने नहीं आ पाते हैं। बहुत से लोगों को तो यह भी पता नहीं होता कि उन्हें अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत किस प्लेटफार्म पर करनी है, तथा जब तक यह जानकारी प्राप्त कर उसके द्वारा शिकायत की जाती है, तब तक बहुत देर हो जाती है तथा पैसे आगे से आगे ट्रांसफर हो जाते है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति दिन करीब 3 लाख लोग शिकायत दर्ज करवाने के लिए हेल्पलाइन नम्बर पर कॉल करते है, जिसमें से मात्र 4500 कॉल ही अटेण्ड हो पाती है, जो कि चिंता का विषय है।

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डिजीटलाइजेशन के साथ—साथ साइबर ठगी भी बढ़ी

अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसिएशन यानि आरतिया के मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने बताया कि आज छोटे से छोटा काम भी कम्प्यूटर एवं मोबाइल के माध्यम से किया जा रहा है। सरकार की ओर से ऑनलाइन पेमेंट को प्रमोट किया जा रहा है तथा कई-कई स्थानों पर तो इसे आवश्यक रूप से लागू किया जा रहा है। इससे आम नागरिक एवं व्यापारियों को सहूलियत तो मिली है, समय कम नष्ट होता है तथा बिना भाग-दौड़ के फिंगर टिप्स पर आसानी से कार्य हो जाते हैं, किन्तु आज जिस गती से भारत में डिजीटलाइजेशन बढ़ रहा है, साइबर ठगी की वारदातें भी उसी गती से बढ़ रही है।

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ऑनलाइन पेमेंट सुरक्षित रखना सरकार का काम

कन्दोई ने कहा कि सरकार द्वारा ऑनलाइन माध्यम से लेन-देन को जबरदस्ती प्रत्येक व्यक्ति पर थोपा जा रहा है, तो इसे सुरक्षित रखने का कार्य भी सरकार का ही है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई धोखाधड़ी होती है, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए, कि वे शिकार हुए व्यक्ति को जल्द से जल्द उसकी राशि दिलवाये। आज दुनिया पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर है और पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है। आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति एंड्रॉयड मोबाइल का उपयोग करता हैं।

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रेगूलेशन एक्ट बनाने की जरूरत

भारत में 'साइबर क्राइम प्रिवेंशन एवं रेगूलेशन एक्ट' बनाये जाने की जरूरत है, जो कि वर्तमान परिपेक्षय में बेहद आवश्यक है। वर्तमान में साइबर क्राइम से जुड़े ज्यादातर मामले आईटी एक्ट 2000 की धारा 43, 65, 66, 67 व आईपीसी की धारा 420, 120बी और 406 के अन्तर्गत चलाये जाते हैं। इसलिए भारत में साइबर क्राइम प्रिवेंशन एवं रेगूलेशन एक्ट बनाया जाना चाहिए, ताकि ऑनलाइन ठगी एवं साइबर क्राइम के पीड़ितों को एक समय—सीमा में जल्द से जल्द न्याय मिल सके।