
जयपुर। स्वाइन फ्लू आैर डेंगू के पांव पसारने, आए दिन बच्चों-मरीजों की मौतें होने और दिनोंदिन हालात बिगडऩे के बावजूद चिकित्सा विभाग बेफिक्र है। सरकारी अस्पतालों में उमड़ रहे मरीजों को निजी अस्पतालों में जाने को बाध्य कर रहे और वहां जाकर मोटी कमाई में जुटे डॉक्टरों पर विभाग अब भी लगाम कसता नहीं दिख रहा।
हाल ही में एसएमएस अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. जीएस कालरा के निजी अस्पताल में जाकर मरीज का ऑपरेशन करने का मामला सामने आया था। इस मामले में मरीज की मौत होने के बाद जब परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया तो मामला खुला था। इससे पहले भी ऐसे कई मामले उजागर हो चुके हैं लेकिन विभाग मौन है।
यह है स्थिति
- 200 सरकारी डॉक्टर ऐसे हैं राजधानी में अनुमानित, जो निजी अस्पताल में जाकर करते हैं ऑपरेशन
- 500 से ज्यादा डॉक्टर हैं प्रदेश में ऐसे, जो निजी अस्पताल में हर महीने करते हैं 30 से 50 ऑपरेशन
- 01 बार भी सरकार और चिकित्सा विभाग ने ऐसे डॉक्टरों को सूचीबद्ध करने की जहमत नहीं उठाई, उलटे रेडियोलॉजी के डॉक्टरों को निजी अस्पताल में भी प्रेक्टिस की दी जा रही है अनुमति
- 03 डॉक्टर हैं बीकानेर मेडिकल कॉलेज के, जिन्हें हाल ही सरकार ने दी है ऐसी अनुमति
सरकारी अस्पतालों में इतने मरीज
- 2.5 लाख प्रतिदिन का औसत आउटडोर है सरकारी अस्पतालों का प्रदेश में प्रतिदिन
- 20 से 25 हजार प्रतिदिन का औसत आउटडोर है जयपुर जिले में सरकारी अस्पतालों का प्रतिदिन
- 200 से ज्यादा बड़े ऑपरेशन प्रतिदिन होते हैं एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े विभिन्न अस्पतालों में प्रतिदिन
- 1500 चिकित्सक शिक्षक तैनात हैं प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में
- 15 दिन से लेकर महीनों तक की वेटिंग है कई विभागों में ऑपरेशन के लिए
जो मामला सामने आए, कार्यवाही उसी पर की जा सकती है। हालांकि अब गोपनीय जांच कराएंगे कि कौन-कौन डॉक्टर निजी अस्पताल में प्रेक्टिस करते हैं।
- डॉ. यूूएस अग्रवाल, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज।
Published on:
05 Sept 2017 08:44 pm
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