25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बाबा राम रहीम के साथ सरकार भी बेनकाब

बाबा राम रहीम को रेप केस का दोषी करार दिया गया, बाबा समर्थकों ने तीन-चार राज्यों को कई घंटों तक बंधक बना दिया

3 min read
Google source verification
Gurmeet ram rahim case

ram rahim case

-राजेंद्र शर्मा/जयपुर। बाबा राम रहीम को रेप केस का दोषी करार दिया गया, बाबा समर्थकों ने तीन-चार राज्यों को कई घंटों तक बंधक बना दिया, जमकर उपद्रव किया, 36 लोगों की जान चली गई, करोड़ों-अरबों की संपत्ति तबाह हो चुकी है। इन तमाम घटनाओं के साए में कुछ ऐसे सवाल सुलग रहे हैं, ज‍िनका जवाब सरकार से मांगना ला‍ज‍िमी है।

सवाल नम्बर 1-फैसले का स्वागत क्यों नहीं
सब-कुछ हो गया, लेकिन क्या तीन तलाक पर फैसले की कॉपी आने से पहले ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री ने इस फैसले का स्वागत किया, या इसे ट्वीट में ऐतिहासिक बताते हुए सराहा, छोड़ो...क्या कांग्रेस हो या कोई और दल, किसी के नेता ने इस फैसले का स्वागत किया? नहीं न! क्यों? क्योंकि डेरा सच्चा सौदा के साथ इनका सौदा चलता रहता है। राजनीतिक लाभ ये लेते हैं और उसका खमियाज़ा भुगता निरीह जनता ने। पिछले लोकसभा चुनाव में तो बाबा ने पहली बार बीजेपी का सपोर्ट किया, न भूलें कि उस समय भी वह बलात्कार और हत्या के मामले का आरोपी था।
सवाल नम्बर 2- धारा 144 के आदेश में 5 लोगों के इकट्ठे होने पर रोक क्यों नहीं लिखा

25 अगस्त को जो हुआ वह अप्रत्याशित नहीं था। हाईकोर्ट बार-बार खट्टर सरकार को चेता रहा था। यहां तक कह दिया था कि एक भी मौत होती है तो पंचकूला के डीसीपी को निलंबित कर दिया जाए। फोर्स डिप्लोय कर दी गई, बार-बार फ्लैग मार्च करवा यह जताया गया कि सुरक्षा बल एकदम तैयार है। धारा 144 लगा दी गई, फिर भी पंचकूला में करीब दो लाख डेरा समर्थक इकट्ठे हो गए। जबकि पांच आदमी से ज्यादा एक जगह इकट्ठे नहीं हो सकते। कैसे हो गए? और धारा 144 के आदेश में पांच या अधिक लोग कहीं भी इकट्ठे हाेेेनेे पर रोक क्‍यों नहीं लगाई गई?

सवाल नम्बर 3- पता था, फसाद होगा, तो तैयारी क्यों नहीं
जज ने जैसे ही फैसला सुनाया, पता था फसाद होगा, हुआ, मीडिया तक पर हमला हुआ, ओबी वैनों को आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस खड़ी देखती रही। कई जगह तो उपद्रवियों से डर कर भागती भी दिखी। इतनी मजबूर तो कभी नहीं थी पुलिस, क्यों हो गई?

सवाल नम्बर 4- बहादुर पीडि़ताओं को सरकार ने क्या सुविधा दी
क्या इस मामले की पीडि़ताओं को किसी नेता ने सलाम किया कि उन्होंने 15 साल तक उन हैवानों की धमकियों, हमलों और दहशत का डटकर सामना किया, जिन्होंने सुरक्षा बलों को पंगु साबित कर एक दिन में पांच राज्यों के काफी हिस्से को कई घंटों तक बंधक बना दिया। सम्मान की बात तो दूर, क्या सरकार ने इन पीडि़ताओं को कोई सुविधा, प्रोत्साहन या सुरक्षा प्रदान की?

सवाल नम्बर 5- क्या राम रहीम पर उपद्रव में हुई हत्याओं का मुकदमा चलेगा
क्या बाबा राम रहीम को इस बात की सजा नहीं मिलनी चाहिए कि उसके समर्थकों के उपद्रव में 36 लोगों की जान चली गई? क्या उस पर इन 36 हत्या का मुकदमा नहीं चलना चाहिए? क्योंकि न तो वह और न ही हरियाणा सरकार यह दावा कर सकती है कि बाबा को तो उपद्रव का पता ही नहीं था। तो, क्या लाखों समर्थक बिना आदेश के, बिना सरकार की शह के पंचकूला में इकट्ठे हो गए?
सवाल नम्बर 6- क्या सरकार दोनों रेप पीडि़ताओं को राष्ट्रपति से पुरस्कृत करवाएगी

क्या केंद्र सरकार उन दो महिलाओं को राष्ट्रपति से पुरस्कृत करवाएगी, जिन्होंने तमाम हालात खिलाफ होते हुए भी (एक के तो ससुराल वालों ने बाबा के खिलाफ केस चलाने पर सरकार की नाराजगी के चलते घर से ही निकाल दिया) शैतानों और हैवानियत का डटकर मुकाबला किया।

सवाल नम्बर 7- क्या दो मंत्री बलात्कार के आरोपी बाबा को सरकार की तरफ से 51 लाख देकर आए
खट्टर सरकार के दो मंत्री अनिल विज और रामविलास शर्मा क्या 15 अगस्त को बलात्कार के आरोपी बाबा रामरहीम को जन्मदिन की बधाई देने डेरा सच्चा सौदा में गए थे? और क्या उन्होंने बाबा को हरियाणा सरकार की तरफ से 51 लाख रुपए भेंट किए?


और अब सबसे अहम सवाल - क्या केंद्र सरकार इन दो के साथ सभी पीडि़ताओं को अभयदान देगी

क्या इस मामले को 15 साल तक चला रही दोनों वीरांगना साध्वियां सुरक्षित हैं? हैं, तो कहां हैं? किस स्थिति में हैं? शायद सरकार को पता नहीं, क्योंकि इन दोनों साध्वियों और उनके परिवारों का भरोसा सरकार जीत ही नहीं पाई। क्या केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर इन वीर महिलाओं के साथ ही अन्य पीडि़ताओं को भी अभयदान प्रदान कर अपनी बीती पर केस दर्ज कराने को प्रोत्साहित करेगी।
सच है, जब अपराधी और राजनीति मिल जाते हैं तो निरीह जनता को खमियाजा भुगतना ही पड़ता है।

वो तो उन दो साध्वियों का जज़्बा था कि उन्होंने बाबा का नकाब उतार असली चेहरा उजागर कर दिया। प्रधानमंत्री ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी रैलियों में राजनीति के अपराधीकरण के खात्मे का वादा किया था, वो तो दूर बस, इन सवालों के परिप्रेक्ष्य में अपराधियों के राजनीतिकरण को तो बंद करें।