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Jaipur Literature Festival 2023 : हिमालय: एक्सप्लोरिंग द रूफ ऑफ द वर्ल्ड, पहाड़ों ने समय की तबाही को झेला है

इतिहासकार और पत्रकार जॉन केय ने कहा कि हिमालय के बारे में अपनी नई किताब हिमालय: एक्सप्लोरिंग द रूफ ऑफ द वर्ल्ड में उन्होंने अपने जीवन भर की खोज और विशेषज्ञता को प्रदर्शित किया है।

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Jaipur Literature Festival 2023 : हिमालय: एक्सप्लोरिंग द रूफ ऑफ द वर्ल्ड, पहाड़ों ने समय की तबाही को झेला है

Jaipur Literature Festival 2023 : हिमालय: एक्सप्लोरिंग द रूफ ऑफ द वर्ल्ड, पहाड़ों ने समय की तबाही को झेला है

इतिहासकार और पत्रकार जॉन केय ने कहा कि हिमालय के बारे में अपनी नई किताब हिमालय: एक्सप्लोरिंग द रूफ ऑफ द वर्ल्ड में उन्होंने अपने जीवन भर की खोज और विशेषज्ञता को प्रदर्शित किया है। इसके लिए कई बार पहाड़ों पर वापस जाना पड़ा था। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में शुरू होने के बाद कश्मीर में एक विदेशी संवाददाता के रूप में पहली बार हिमालय का दौरा किया था। हिमालय सबके के लिए एक शब्द है, हम इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि यह एक एकल इकोजोन का गठन करता है। इसलिए, यह अत्यधिक संरक्षण मांगता है, क्योंकि यह राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से खंडित है और हमेशा से रहा है। अंटार्कटिका एक उदाहरण है। यह हमारे ग्रह पर एक और कीमती इकोजोन है। विभिन्न देशों ने क्षेत्र की प्राचीन गुणवत्ता को बनाए रखने और किसी भी सैन्य और राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। लेकिन, इसके विपरीत हिमालयी क्षेत्र कई लोगों के घर है और पड़ोसी देशों द्वारा लगातार इसका अतिक्रमण किया जाता रहा है।

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हिमालय आज पर्यटन और जलवायु परिवर्तन के कारण खतरे में

हिमालय आज पर्यटन और जलवायु परिवर्तन के कारण खतरे में है। हम विशेष रूप से नेपाल जैसे देशों के लिए कष्टदायक है, क्योंकि यह देश जीविका के लिए पहाड़ों पर निर्भर हैं। सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने का जुनून तिब्बती बौद्ध मान्यताओं के विपरीत है। वे पहाड़ों की पूजा करते हैं। हिमालय के लिए पश्चिमी दृष्टिकोण सबसे अधिक मुखर था। अधिकांश यूरोपीय देशों ने सबसे पहले चोटियों पर चढ़ने की कोशिश की। कई मायनों में यह एक आपदा थी। पर्यटन को नेपाल द्वारा बहुत सावधानी से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। किसी संगीत समारोह के बाद हर बेस कैंप का भयानक नजारा देखने को मिलता है। आयोजक समारोह के बाद गंदगी और प्लास्टिक पहाड़ों में ही छोड़ जाते है, जो निंदनीय है।