
जयपुर. देश की खनिज सम्पन्न जमीनों पर राज्यों को रॉयल्टी पर कर वसूलने का अधिकार होने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत विभिन्न खनिज सम्पन्न राज्यों के लिए राजस्व का अकूत खजाना खोल दिया है। इस फैसले के बाद झारखंड की झामुमो सरकार ने तो खनिजों पर कर लागू करने की घोषणा कर दी है, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा अभी फैसला नहीं कर पाए हैं। अब सवाल है कि क्या आगामी दिनों में राजस्थान में भी राज्य सरकार खनिजों पर कर लागू कर देगी?
सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने 8-1 के बहुमत के फैसले में राज्यों को कर बसूली का अधिकार देने के साथ ही 1 अप्रैल 2005 से अब तक वसूली गई रॉयल्टी पर बकाया कर राज्यों को 2026 से 12 साल में किस्तों में लौटाने का आदेश दिया है। यह फैसला राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े (गरीब) मगर खनिज संपदा के लिहाज से अमीर राज्यों को उनका वह जायज हक दिलाएगा। फैसले के बाद झारखंड की झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार के खनिजों पर कर लगाने की घोषणा पर उद्योग जगत में हलचल है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा की भाजपा सरकारों ने हालंकि तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन देर-सवेर फैसला राज्यों को लागू करना है।
माइनर्स की संस्था एफआईएमआई के अनुसार, एक अप्रैल 2005 से बकाया राशि की वसूली से भारतीय खनन उद्योग पर डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। केंद्र सरकार ने भी अपनी दलीलों में यह कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां पुराना बकाया चुकाने में दिवालिया हो जाएगी।
इस फैसले से सबसे बड़ी चिंता यह जताई जा रही है कि इससे बिजली और महंगी हो जाएगी, क्योंकि हमारे देश में बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा कोयले पर निर्भर है। इसका कोयले के भंडार वाले राज्यों के खनन क्षेत्रों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। इस फैसले के बाद कोयला खनन पर यदि राजस्थान सहित अन्य राज्य भी कर लगाते हैं तो कोयले की दरें बढ़ेगी जिसका परिणाम महंगी बिजली के रूप में सामने आएगा।
Published on:
27 Aug 2024 08:53 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
