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अब जान सकेंगे कौनसी बर्फ खाने योग्य और कौनसी नहीं

हाल ही भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकारण (एफएसएसएआई) की गाइड लाइन के तहत शहर के सभी बर्फ बनाने वाली फैक्ट्री मालिकों को खाद्य सुरक्षा विभाग ने नोटिस जारी किए हैं।

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अब जान सकेंगे कौनसी बर्फ खाने योग्य और कौनसी नहीं

जयपुर. अब खाद्य योग्य (एडिबल) बर्फ बनाने वाली फैक्ट्रियों को भी लाइसेंस लेना होगा। वहीं अखाद्य (नॉन एडिबल) बर्फ बनाने वालों को बर्फ बनाने के लिए तय मात्रा में नीले रंग का प्रयोग करना होगा। हाल ही भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकारण (एफएसएसएआई) की गाइड लाइन के तहत शहर के सभी बर्फ बनाने वाली फैक्ट्री मालिकों को खाद्य सुरक्षा विभाग ने नोटिस जारी किए हैं। एक जून को ही गाइडलाइन जारी की गई है। बर्फ की पहचान और मानक के नियम से बर्फ की गुणवत्ता की पहचान के साथ इसके दुरुपयोग पर भी लगाम लग सकेगी।
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शहर में कितनी खपत
शहर में गर्मी के मौसम में लगभग 100 टन बर्फ की खपत होती है। इसमें खाने योग्य बर्फ मात्र 10 टन ही होती है। जोकि ज्यूस की दुकानों पर शेक, ज्यूस, शिकंजी और गन्ने के ज्यूस और होटलों में इस्तेमाल होता है। लेकिन खाद्य और अखाद्य बर्फ की पहचान नहीं होने से उद्योगिक क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली अखाद्य बर्फ को भी खाने योग्य बताकर बाजार में बेच दिया जाता है। वहीं खाद्य योग्य बर्फ के लिए अब तक मानक भी नहीं थे। अखाद्य बर्फ का इस्तेमाल दवाइयों को ठंडा रखने, मांस व सी फूड को प्रिजर्व रखने, शव गृह, सीमेंट फैक्ट्रीज व अन्य कैमिकल फैक्ट्रियों में होता है। विभाग की माने तो शहर में सात से आठ आइस फैक्ट्रियां संचालित हैं।
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यह करना होगा खाद्य बर्फ फैक्ट्रियों को
खाने योग्य बर्फ तैयार करने वाले फैक्ट्री मालिकों को लाइसेंस लेना होगा। उन्हें आरओ का पानी इस्तेमाल करने के साथ हाइजीन व सैनिटेशन का भी ध्यान रखना होगा। इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग समय-समय पर पानी की जांच करेगा। जिसके तहत एफएसएसएआई से खाने योग्य बर्फ तैयार करने वाली फैक्ट्रियों की लाइसेंसिंग होगी। अभी तक फैक्ट्रियों में बर्फ तैयार करने में किस तरह के पानी का इस्तेमाल होता है इसकी जांच का कोई प्रावधान नहीं था। दो हजार किलो तक प्रति दिन बर्फ तैयार करने वाली फैक्ट्री मालिकों को स्टेट लाइसेंस का प्रावधान है। इससे ज्यादा के उत्पादन में मालिकों को सेंट्रल लाइसेंस के लिए अप्लाई करना होगा।
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तो होगा जुर्माना..
खाद्य बर्फ के पानी तय मानक में सही न पाए जाने या अखाद्य बर्फ को नीला नहीं पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 व नियम 2011 के अंतर्गत कार्यवाही होगी। जिसमें दो लाख रुपए जुर्माना व छह माह की सजा का प्रावधान है।
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अखाद्य बर्फ के सेवन से हानि
अखाद्य बर्फ मुख्य तौर पर दुषित पानी ही है, इसके इस्तेमाल से गले में संक्रमण, टायफाइड बुखार और उल्टी-दस्त की समस्या हो सकती है।
डॉ. विपुल खंडेलवाल, आंतरिक रोग विशेषज्ञ
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वर्जन-
हाल ही शहर की एडिबल और नॉन एडिबल आइस तैयार करने वाली फैक्ट्रियों की लाइसेंसिंग के लिए नोटिस दिए गए हैं। इससे दोनों तरह की बर्फ में पहचान हो सकेगी। नरोत्तम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं सवास्थ्य अधिकारी, जयपुर प्र्रथम

- अखाद्य बर्फ की पहचान के लिए नीला रंग इस्तेमाल में होगा अनिवार्य
- गर्मी में 100 टन बर्फ की खपत होती है शहर में
- इसमें 10 टन ही होती है खाद्य बर्फ
- अभी तक पहचान न होने से अखाद्य बर्फ को भी खाद्य बर्फ बताकर बेच दिया जाता है बाजार में