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देसी चिकित्सा पद्धतियों का विकास करना है तो यूनानी को मिले आयुर्वेद जैसा दर्जा

जयपुर. देश के यूनानी हकीमों ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि यूनानी को आयुर्वेद के समान दर्जा बख्शा जाए ताकि उसका भी आयुर्वेद के समान विकास हो सके। अभी तक देश में यूनानी के दवाखानों को खोलने की रफ्तार आयुर्वेद के मुकाबले कम है। समान दर्जा मिलने से उनकी संख्या में भी इजाफा होने की गति बढ़ जाएगी।

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जयपुर

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Subhash Raj

Jul 13, 2020

देसी चिकित्सा पद्धतियों का विकास करना है तो यूनानी को मिले आयुर्वेद जैसा दर्जा

देसी चिकित्सा पद्धतियों का विकास करना है तो यूनानी को मिले आयुर्वेद जैसा दर्जा

ये मांग राजधानी दिल्ली में रविवार को आयोजित ज्वाइंट एक्शन कमेटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूनानी मेडिसिन (जेएसीपीयूएम) की बैठक में यूनानी चिकित्सकों ने ये मांग की। बैठक की अध्यक्षता आयुष मंत्रालय के पूर्व ज्वाइंट एडवाइजर डॉ. मोहम्मद शमून ने की। इस बैठक में यूनानी पैथी के विकास को लेकर चर्चा की गई।
बैठक में कहा गया कि केंद्र सरकार के आयुष विभाग द्वारा आयुष मेडिसिन शिक्षा नीति और शोध संस्थानों जैसे सीसीआरएएस, सीसीआरयूएम व सीसीआरएच आदि की प्रगति के लिए कोई ठोस नीति बनाने की जरूरत है, साथ ही शोध संस्थानों में वर्षों से रिक्त पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाए व शोध अधिकारियों के रुके हुए प्रमोशन को यथाशीघ्र बहाल किया जाए।
बैठक में यह मांग की गई कि आयुष विभाग द्वारा जो भी योजना बनाई जाए उसमें यूनानी पैथी को आयुर्वेद के समान ही शामिल किया जाए। इस अलावा बैठक में दिल्ली सरकार के आयुष विभाग में उपनिदेशक यूनानी का पद सृजित कर भरे जाने की भी मांग की गई।
बैठक में भारत की प्रमुख संस्थाओं ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांफ्रेंस के अलावा 10 अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। डॉ. अल्ताफ देहलवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।