
जयपुर में बारिश के बाद के हालात (फोटो: दिनेश डाबी पत्रिका)
Images Of Jaipur Rain: जयपुर में अगर बारिश को विकास का टेस्ट कहा जाए, तो शहर हर बार फेल होने की नई परंपरा रचता है। चंद घंटों की बरसात और करोड़ों के ड्रेनेज तंत्र की सारी कथित व्यवस्था पानी में बह जाती है। शहर के हर कोने से लेकर छोटी-छोटी कॉलोनी की गलियों तक … हर रास्ता एक जैसी कहानी कहता है… नाले जाम, सड़कें नदी और नागरिक बेहाल। बुधवार को भी नाला सफाई के 12 करोड़ और ड्रेनेज सुधार के 70 करोड़ रुपए हर बूंद के साथ बहते दिखे … जैसे सिस्टम ने खुद ही खुद को बहिष्कृत कर लिया हो।
पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि जयपुर में योजनागत तरीके से ड्रेनेज सिस्टम का विकास ही नहीं हुआ है। कहीं छोटी ड्रेनेज डाली गई है, तो कहीं बड़ी। कहीं इन पर फुटपाथ बना दिए गए हैं तो कहीं बाजार खड़े हो गए हैं। ड्रेनेज की सफाई भी नाम मात्र की रह गई है, और नतीजा यह कि शहर की 40 लाख से अधिक आबादी हर बारिश में परेशानी झेल रही है।
जेएलएन मार्ग पर जेडीए ने दो साल में ड्रेनेज सुधार के लिए 90 लाख रुपए खर्च किए। त्रिमूर्ति सर्कल से अल्बर्ट हॉल तक आरसीसी ड्रेनेज बनाई गई, लेकिन जलभराव अब और बढ़ गया है। कारण वही… नालों की समय पर सफाई नहीं।
परकोटे के पुराने जल निकासी तंत्र को तोड़ा गया, नालों पर निर्माण कर दिए गए।
स्मार्ट सिटी व मेट्रो प्रोजेक्ट के चलते ड्रेनेज सिस्टम बर्बाद हुआ। चांदपोल, किशनपोल, त्रिपोलिया बाजार जैसी जगहों पर नालों का आकार घटा दिया गया या उन्हें ढक दिया गया।
मुख्य मार्गों के किनारे सीमेंट से पक्का कर दिया गया, जिससे जल जमीन में नहीं समा पाता।
बारिश के बीच शहर का बिजली तंत्र बुरी तरह लड़खड़ा गया। मुहाना मंडी क्षेत्र के हाज्यावाला और स्वर्ण विहार में सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक बिजली बंद रही। वहीं कई अन्य इलाकों में आरएमयू (रिंग मेन यूनिट) जलने के कारण आपूर्ति प्रभावित हुई। रात 10 बजे तक नो करंट की 230 शिकायत कॉल सेंटर में दर्ज हुईं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार शाम ढाई घंटे तक जयपुर के कई इलाकों का दौरा कर बारिश से पैदा हालात का जायजा लिया। बी-टू बायपास, सांगानेर, सूरजमल सर्कल, मुहाना मंडी और चौरड़िया पेट्रोल पंप जैसे जलभरावग्रस्त इलाकों में रुककर उन्होंने ड्रेनेज, क्षतिग्रस्त सड़कों और गड्ढों की समस्याओं को जल्द सुलझाने के निर्देश दिए। बी-टू बायपास पर द्रव्यवती नदी का निरीक्षण करते हुए उन्होंने वृक्षों की छंटाई और नालों की मरमत कराने को कहा।
सिरसी रोड: 12 किमी में से 6 किमी ड्रेनेज लाइन डाली गई, दिसंबर तक बाकी काम पूरा करना है।
सीकर रोड: 8 किमी ड्रेनेज लाइन डाली जा चुकी है।
जगतपुरा क्षेत्र: दो साल में 6 किमी लाइन डाली गई, जबकि एक साल में 14 किमी का काम पूरा करना था।
शहर में 30-35 फीसदी क्षेत्र में ड्रेनेज है। कुछ क्षेत्रों में ड्रेनेज डाली जा रही है। पिछले वर्ष जयसिंहपुरा और जगतपुरा में कार्य हुआ, इस वर्ष सीकर और सीरसी रोड पर काम हो रहा है।
-अजय गर्ग, निदेशक अभियांत्रिकी द्वितीय, जेडीए
नगर निगम और जेडीए के हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट उस वक्त गुम हो गए, जब शहर पर महज सवा दो इंच की बारिश बरसी। सुबह ऑफिस के लिए निकले लोग रात तक रास्तों में उलझे रहे। ड्रेनेज सिस्टम के दावे नालियों में बह गए और सड़कों ने गड्ढों की शक्ल ले ली। राजस्थान पत्रिका की ग्राउंड रिपोर्ट में देखिए, कैसे एक बारिश ने जयपुर को घुटनों पर ला दिया।
सुबह 10:15 बजे से ही कई गलियों में घुटनों तक पानी भर गया। जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से दुपहिया वाहन बार-बार बंद हो रहे थे। स्कूल, कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों और ऑफिस जाने वालों को जलभराव और जाम की वजह से भारी परेशानी झेलनी पड़ी।
सहकार मार्ग होते हुए लक्ष्मी मंदिर अंडरपास पर जाम मिला। गांधी नगर मोड़ व नगर निगम कार्यालय के सामने यू-टर्न लेते वक्त भी ट्रैफिक फंसा रहा। यूनिवर्सिटी रोड से गांधी सर्कल पहुंचने पर चारों ओर पानी भरा था। ट्रैफिक पुलिसकर्मी खुद वाहन निकालने में लगे रहे।
80 फीट रोड पर सब्जी के ठेलों के नीचे तक पानी भर गया। लोग घंटों तक अपने वाहन निकालने की मशक्कत करते रहे। हाल बनी सड़क पर कई जगह गड्ढे हो गए। महेश नगर रेलवे फाटक पर पानी जमा हो गया। फाटक खुलने-बंद होने पर जाम के हालात और खराब रहे।
ट्रांसपोर्ट नगर अंडरपास में पानी भरने से वाहन चालकों को बाहर से होकर निकलना पड़ा। जेडीए की ओर से जल निकासी के कोई पुख्ता इंतजाम नजर नहीं आए। जवाहर नगर बाइपास पर कई जगह गड्ढे थे, जिनमें मिट्टी के कट्टे भर दिए गए थे। इससे गाड़ियां हिचकोले खाती रहीं।
इंदिरा गांधी नगर से झालाना की ओर जाने वाले रास्ते पर जलभराव और टूटी सड़क ने सफर को मुश्किल बना दिया। 200 मीटर लंबा हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त था, जिससे दुपहिया वाहन फिसलते दिखे। चौड़ीकरण के लिए तोड़ी गई सड़क अब तालाब जैसी दिख रही थी। मॉडल टाउन से अपेक्स सर्कल तक रास्ता तय करने में 40 मिनट लगे।
करणी पैलेस, पांच्यावाला, सिरसी रोड, क्वींस रोड, वैशाली नगर, पृथ्वीराज नगर और धावास रोड से महाराणा प्रताप रोड तक जलभराव के कारण हाल बेहाल रहे। स्कूल वैन कॉलोनियों में नहीं पहुंच पाईं। अजमेर रोड से सोडाला तक लंबा जाम रहा। गांधी पथ पश्चिम तो नदी की शक्ल में तब्दील हो गया। करणी पैलेस रोड पर वाहन रुक गए।
गौरव टावर पुलिया से जयपुरिया अस्पताल की ओर पुलिया के नीचे करीब एक फुट तक पानी भर गया। जेएलएन मार्ग पर भी जाम था। पुलिस ने पानी निकासी के लिए सड़क किनारे नाले की दीवार तोड़ी, तब जाकर पानी उतरा। ओटीएस सर्कल पर भी गाड़ियों की लंबी कतारें थीं और रेड लाइट पर आधा किलोमीटर तक वाहन रेंगते रहे।
परकोटे के सभी बाजारों में जलभराव के कारण दोपहर 12 बजे तक दुकानें नहीं खुल सकीं। सड़कें पानी में डूबी हुई थीं, वाहन के पहिए तक नजर नहीं आ रहे थे। जोरावर सिंह गेट से सुभाष चौक और चांदी की टकसाल तक घुटनों तक पानी था। एमडी रोड पर इतना पानी था कि लोगों ने हादसे की आशंका से रास्ते बंद कर दिए।
Published on:
31 Jul 2025 05:09 pm
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