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Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए इंफलेक्टर इंडिया प्रोजेक्ट

राजस्थान के झुंझुनू जिले में जन्मे डॉ. संदीप चौधरी ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव कई परिस्थितियों का सामना करते हुए आज ग्लोबल वार्मिंग जैसी विशालकाय परिस्थिति को चैलेंज करके अपना जीवन इसी के लिए समर्पित कर दिया है।

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Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए इंफलेक्टर इंडिया प्रोजेक्ट

Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए इंफलेक्टर इंडिया प्रोजेक्ट

राजस्थान के झुंझुनू जिले में जन्मे डॉ. संदीप चौधरी ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव कई परिस्थितियों का सामना करते हुए आज ग्लोबल वार्मिंग जैसी विशालकाय परिस्थिति को चैलेंज करके अपना जीवन इसी के लिए समर्पित कर दिया है। यह लक्ष्य इतना आसान नहीं है, लेकिन इन सारी परिस्थितियों का सामना करते हुए संदीप चौधरी आगे बढ़ते जा रहे हैं और इतिहास रचने को तैयार हैं उनके इस कार्य के लिए इन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया है। इसी कड़ी में चौधरी को दिल्ली में राष्ट्रीय गौरव सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान इन्हें विश्व को ग्लोबल वार्मिंग जैसी परिस्थिति से बचाने के लिए मनप्रीत सिंह बिट्टा द्वारा दिया गया। डॉ. चौधरी को इससे पूर्व भी कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। हाल ही में उन्हें लीडरशिप एक्सेलेंट अवार्ड और आइकन्स एंड ट्रैलब्लेजर्स अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। चौधरी पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए कार्य कर रहे हैं और उनके इस अद्भुत मिशन को बहुत सराहना मिल रही है। संदीप चौधरी राजस्थान के एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं लेकिन शुरू से ही वे एक सच्चे देश भक्त की तरह देश हित में काम करते आये हैं और उनका सबसे बड़ा प्रोजेक्ट रहा है 'इंफलेक्टर इंडिया', इस प्रोजेक्ट का मिशन पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाना है। ग्लोबल वार्मिंग के भीषण प्रकोप का आने वाले समय में क्या प्रभाव पड़ेगा, पृथ्वी पर इसका अंदाजा हम सबको है, लेकिन कोई भी अभी तक इससे बचाने के लिए किसी प्रोजेक्ट या मिशन पर कार्य नहीं कर रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग एक प्रचलित शब्द नहीं
संदीप चौधरी इंफलेक्टर इंडिया के सह संस्थापक हैं, उन्होंने इस फर्म को वर्ष 2021 में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के मिशन को लेकर स्थापित किया और आज पूरे देश में उनकी चर्चा है और उनके इस मिशन को सराहना मिल रही है। ग्लोबल वार्मिंग दुनिया की कितनी बड़ी समस्या है, यह बात एक आम आदमी समझ नहीं पाता है। उसे ये शब्द थोड़ा टेक्निकल लगता है। इसलिये वह इसकी तह तक नहीं जाता है। लिहाजा इसे एक वैज्ञानिक परिभाषा मानकर छोड़ दिया जाता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि फिलहाल संसार को इससे कोई खतरा नहीं है। भारत में भी ग्लोबल वार्मिंग एक प्रचलित शब्द नहीं है और भाग-दौड़ में लगे रहने वाले भारतीयों के लिए भी इसका अधिक कोई मतलब नहीं है। लेकिन विज्ञान की दुनिया की बात करें तो ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भविष्यवाणियां की जा रही हैं। इसको 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है। यह खतरा तृतीय विश्वयुद्ध या किसी क्षुद्रग्रह (एस्टेरोइड) के पृथ्वी से टकराने से भी बड़ा माना जा रहा है।

इंफलेक्टर ग्लोबल वार्मिंग रोकने में करता है मदद
इंफलेक्टर एक सोलर हीट बैरियर है और दुनिया के 60 से अधिक देश अलग-अलग तरीके से इंफलेक्टर का इस्तेमाल करते हैं। वास्तव में सोलर हीट ग्लोबल वार्मिंग का कारण नहीं है, सूर्य की किरणे तो मनुष्य, पशु, पक्षी, जीव, वृक्ष सभी को जीवित रखने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन ग्रीन हाउस गैसेस के अट्मॉसफेयर में लेयर बना लेने के कारण सूर्य की किरणे ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन रही है और जब हम इंफलेक्टर का उपयोग करते हैं तो ये सूर्य की जहरीली किरणों को अंदर आने से रोकने में मदद करता है। संदीप चौधरी ने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से भी शिष्टाचार भेंट की थी, बैठक के दौरान- संदीप चौधरी ने राज्यपाल को इन्फ्लेक्टर इंडिया के बारे में जानकारी दी और इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में करीबन 45,000 मिलियन टन कार्बन हर साल उत्पन्न होता है तो इसे कैसे कम किया जा सकता है और पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया जा सकता है। इंफलेक्टर के साथ-साथ हमें अधिकाधिक वृक्ष लगाकर इस संकट से उभरना है, ये एक बड़ी तथा वैश्विक समस्या है, जो पूरे विश्व के लिए खतरा बन रही है।