
सरसों उत्पादन बढ़ने से ही कम हो सकती है खाने के तेल की किल्लत
बाजरा के सबसे बड़ा उत्पादक और गेहूं और चावल का दूसरे सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत में खाद्य तेल का संकट बना हुआ है। सरकार आयात के माध्यम से मांग को पूरा करने के लिए मजबूर है। भारत का खाद्य तेल आयात 14.03 मिलियन टन के करीब है। यह 1.57 लाख करोड़ रुपए के आयात बिल के बराबर है, जो विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी का एक कारण है। खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति में काफी बड़ा अंतर है और फिलहाल इसे भरना मुश्किल है। भारत में खाद्य तेलों की सालाना खपत करीब 250 लाख टन है, जबकि घरेलू उत्पादन 111.6 लाख टन है। यह कमी 60 प्रतिशत के आसपास है। वर्तमान समय में सरसों का उत्पादन बढ़ाना अब जरूरी हो गया है। सरसों का तेल खाने के साथ—साथ प्राकृतिक घरेलू उपचार, त्वचा और बालों की देखभाल में उपयोग किया जाता है।
यह भी पढ़े:
मंडियों में करीब 85 हजार बोरी की आवक
राजस्थान की मंडियों में इन दिनों सरसों की दैनिक आवक बढ़कर दुगुनी हो गई है। इस समय प्रदेश की मंडियों में करीब 85 हजार बोरी की आवक हो रही है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और हरियाणा की मंडियों में 30—30 हजार बोरी की आवक हो रही है, जबकि गुजरात में 10 हजार और देश के अन्य राज्यों में करीब 65 हजार बोरी की अवक हो रही है। वर्तमान में देशभर में कुल 2.50 लाख बोरी की आवक हो रही हे।
यह भी पढ़े:
देश में सरसों का उत्पादन 81 लाख टन
मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी के अनिल चतर ने कहा कि पूर्व में देश में सरसों का उत्पादन अनुमान 87.50 लाख टन आंका गया था, जो कि अब यह रिवाइज होकर 81 लाख टन रह गया है। ऐसी स्थिति में सरसों की कीमतों में मंदी आना मुश्किल। गौरतलब है कि दिवाली के आसपास सरसों की बिजाई शुरू होगी तथा नई सरसों फरवरी मार्च से पहले नहीं आएगी। परिणामस्वरूप में सरसों व सरसों तेल में मंदी के आसार समाप्त हो गए हैं।
Published on:
06 Jan 2023 10:55 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
