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नई दिल्ली. दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है। कई देशों में संक्रमण के साथ मृत्युदर का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है। इसमें अधिकांश वे देश हैं जहां पर वैक्सीनेशन कम हुआ है। अमरीका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों को छोड़ दें तो दुनिया के कई बड़े देश वैक्सीनेशन की रेस में पीछे हो गए हैं। इसमें छोटे देशों ने बाजी मार ली है। कई देशों में 50 फीसदी के करीब वैक्सीनेशन हो चुका है। यही वजह है कि बड़े देशों की अपेक्षा इन छोटे देशों में कोरोना वायरस कम प्रभावी रहा है। हालांकि भारत वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया में 13वें नंबर है।
18 से 44 वर्ष के बीच की उम्र के लिए टीकाकरण शुरू होने के बाद यह स्थिति और गंभीर हो चुकी है। 29 अप्रेल तक 10 में से दो ही लोग दूसरी खुराक नहीं ले पा रहे थे। अब यह आंकड़ा 50 फीसदी तक पहुंच गया है। देश में अब तक जो मौतें हुई हैं उनमें 82 फीसदी 45 से अधिक आयुवर्ग के हैं।
वैक्सीन का असर
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मुंबई व पुणे में 45 वर्ष से अधिक आयु वालों को वैक्सीन देने के बाद मौत में कमी आई है। केरल, तमिलनाडु व कर्नाटक में भी ऐसा देखने को मिल रहा है। केरल ने 60 वर्ष से अधिक आयु के 54त्न लोगों को एक खुराक दी है।
भारतीयों की कीमत पर टीके का निर्यात नहीं: सीरम
नई दिल्ली. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने मंगलवार को कहा कि हमने भारत में 'लोगों की कीमत' पर कभी वैक्सीन का निर्यात नहीं किया। उन्होंने कहा, कुछ लोग इस महत्त्वपूर्ण बात को महसूस नहीं कर रहे हैं कि इतनी बड़ी आबादी के लिए टीकाकरण अभियान 2-3 महीने के भीतर पूरा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसमें कई कारक और चुनौतियां हैं। पूरी दुनिया की आबादी के पूर्ण टीकाकरण में 2-3 साल लगेंगे।
Published on:
19 May 2021 07:01 pm
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