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हिंदुस्तानियों को जल्द खाने को मिलेगी ‘लीची’ की बहन ‘लौंगन’

जयपुर. वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार लीची जैसे स्वादिष्ट विदेशी फल लौंगन की एक किस्म का विकास कर लिया है जो न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है बल्कि कैंसर रोधी के साथ-साथ विटामिन सी और प्रोटीन से भरपूर भी है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुजफ़्फऱपुर के वैज्ञानिकों ने लगभग एक दशक के अनुसंधान के बाद लौंगन की गंडकी उदय किस्म का विकास किया है।

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जयपुर

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Subhash Raj

Jul 12, 2020

हिंदुस्तानियों को जल्द खाने को मिलेगी 'लीची' की बहन 'लौंगन'

हिंदुस्तानियों को जल्द खाने को मिलेगी 'लीची' की बहन 'लौंगन'

लीची परिवार का यह फल चीन, मलेशिया, थाईलैंड आदि में पाया जाता है। लीची अनुसंधान केन्द्र के अनुसार लीची के मौसम के बाद लोग लौंगन के फल का मजा ले सकेंगे। यह रसीला होता है और इसका स्वाद लीची से मिलता जुलता है। इसका फल अगस्त में पक कर तैयार हो जाता है जबकि लीची की फसल इससे पहले समाप्त हो जाती है। लौंगन का फल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही कैंसर रोधी गुणों वाला है। इसमें भरपूर मात्र में विटामिन सी के साथ ही प्रोटीन, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 भी पाया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, केरोटीन, फाइबर, थाइमिन और कुछ अन्य तत्व भी पाए जाते हैं। लौंगन का पेड़ लीची की तरह का होता है और यह लगाने के दो साल बाद ही फलने लगता है। इसके एक वयस्क पेड़ में डेढ़ से दो क्विंटल तक फल लगते हैं। इसका फल लीची से भी मीठा होता है। इसकी मिठास 22 से 25 डिग्री टीएसएस होती है। इसका फल गुच्छों में फैलता है। इसके एक फल का वजन 10 से 14 ग्राम तक होता है। केन्द्र में इसके 17 ग्राम तक के फल लिए गए हैं।
लौंगन के फल का 65 प्रतिशत हिस्सा खाने योग्य होता है। शेष हिस्सा छिलका और बीज का होता है। पकने पर इसके छिलके का रंग भूरा होता है जिसे पीला बनाने का प्रयास चल रहा है। इसका रंग बदलने पर आकर्षण बढ़ेगा और किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा। इसमें खटास-मिठास अनुपात बहुत ही संतुलित है जिसके कारण इसका स्वाद और बढ़ जाता है। बिहार की जमीन और यहां की जलवायु लौंगन की खेती के अनुकूल है। इसके फल की लीची के समान या उससे भी अधिक कीमत मिलने की संभावना है। इसकी कई अन्य किस्मों को विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं।