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मामले सूचना आयोग पहुंचे, तो सूचना पर हरकत, मिल गई पेंशन

locationजयपुरPublished: Jul 16, 2021 01:59:25 am

Submitted by:

Shailendra Agarwal

पेंशन संबंधी सूचना में देरी पर सूचना आयोग ने जताई नाराजगी

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जयपुर। सेवानिवृति के बाद दिवगंत हुए कर्मचारियों की पत्नियों को पेंशन नहीं मिलने की सूचना में देरी के दो मामले राज्य सूचना आयोग पहुंचे। उन पर आयोग ने सूचना नहीं देने का कारण पूछा, तो अधिकारियों ने पेंशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया। आयोग ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आश्रितों को पेंशन के लिए आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराने में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पेंशन न केवल सहारा है, बल्कि कर्मचारी की सेवा के प्रति सम्मान भी है।
राज्य सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने दिवंगत कर्मचारी की पत्नी को सूचना नहीं मिलने के मामलों पर यह टिप्पणी की। उन्होंने संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि यह स्थिति बेहद दुखद है, कर्मचारी उम्र भर सेवा करता है और उसकी मौत के बाद पत्नी को पेंशन के दस्तावेजों के लिए आयोग तक आना पड़े।
मामला दो साल तक लंबित रहना दु:खद
अलवर जिले की 80 वर्षीय रेवती देवी के पति चंदगीराम पहले सेना में रहे और बाद में राज्य सेवा में आए। चन्दगी राम का नवंबर 2018 में निधन हो गया। उन्होंने पेंशन से संबंधित इस मामले में अधिकारियों को दो बार चिट्ठी भेजी। इस मामले में उन्होंने विभाग से सूचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी। जानकारी नहीं मिलने पर मामला सूचना आयोग पहुंचा। आयोग ने नोटिस जारी किया तो विभाग हरकत में आया और रेवती देवी की पारिवारिक पेंशन शुरू कर दी। सूचना आयुक्त बारेठ ने टिप्पणी की कि मामला दो साल तक लंबित रहना दुखद है। ऐसे मामले में अधिकारियों से संवेदनशीलता की अपेक्षा की जाती है।
सुनवाई के दौरान दी 147 पेज की सूचना
महर्षि दयानंद सरस्वती विवि के सूचना नहीं देने का मामला भी सूचना आयोग पहुंचा। इस मामले में शशिबाला शर्मा ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विवि से दिवंगत पति दिनेश शर्मा की वेतन स्लिप सहित कुछ जरुरी सूचनाएं देने का आग्रह किया। सूचना नहीं मिलने पर आयोग ने विवि से जवाब मांगा, जिस पर विवि हरकत में आया और सुनवाई के दौरान ही 147 पृष्ठो की सूचना उपलब्ध करवा दी गई। इस मामले में सूचना आयुक्त बारेठ ने कहा कि विवि उच्च शिक्षा का सबसे बड़ा संस्थान है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने विवि को मानवता के लिए कटिबद्ध संस्था बताया। वेतन निर्धारण के बकाया की सूचना के लिए दिवंगत कर्मचारी की पत्नी को आयोग आना पडे, यह खेदजनक है। विवि को अपने इस कार्य व्यवहार पर सोचना चाहिए।
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