
शहर की सड़कों पर इन दिनों कदम-कदम पर गड्ढ़े ही गड्ढ़े नजर आ रहे हैं, लेकिन यहां से गुजरने वाले मंत्रियों, राजनेताओं व अधिकारियों को तो इससे कोई सरोकार ही नजर नहीं आता। तभी तो दुपहिया वाहन चालक रोडि़यों में तब्दील सड़कों पर फिसलकर चोटिल हो रहे हैं, तो राहगीर खस्ताहाल सड़कों से उड़ती धूल से परेशान होने को मजबूर है।
एेसा नहीं है कि शहर में बहुत ज्यादा बारिश हुई हो, जिससे शहर की सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई एवं उधड़कर रोडि़यों में तब्दील हो गई। खुद सरकारी आंकड़े गवाह है कि शहर में औसत के आसपास ही बारिश का आंकड़ा पहुंच पाया है।
कहने को तो यूआईटी व नगर परिषद ने एक साल के अन्दर शहर में कई सड़कों के पेचवर्क पर करीब 50 लाख रुपए खर्च किए हैं, लेकिन मौके के हालात कुछ और ही तस्वीर बयां कर रहे हैं। इधर, काली मोरी फाटक के निकट से डाक बंगले तक पूरी रोड खत्म हो गई। मोटी-मोटी रोडि़यां दुर्घटना का कारण बनी हुई हैं।
साठ फीट रोड पर पेचवर्क खत्म
शहर में साठ फीट रोड पर भी पेचवर्क किए छह माह ही हुए हैं। पहली बारिश में ही पेचवर्क टूट गया। सड़क गड्ढ़ों में तब्दील हो गई। वाहनों की आवाजाही अधिक होने के कारण दुर्घटना का खतरा रहता है। आए दिन दुर्घटनाएं भी हो रही हैं।
गौरव पथ भी बदहाल
करीब छह माह पहले शहर का गौरवपथ वाकई अच्छा था, लेकिन अब बदहाल है। आरयूआईडीपी की सीवर लाइन ने सड़क को बीचों-बीच खोद डाला। लाइन डालने के बाद सड़कें पुन: समय पर नहीं बनी। इसके कारण बची हुई भी खत्म हो गई। अब जगह-जगह गड्ढे व रोडि़यां हैं।
गिट्टी डलवाएंगे
एसपी सोनी एक्सईएन आरयूआईडीपी अलवर ने बताया कि बारिश के समय सड़कों की मरम्मत नहीं करा पा रहे हैं। फिर भी जहां अधिक गड्ढे या दिक्कत है। वहां गिट्टी डलवाकर सही कराएंगे।
समाधान जल्द
पी.के. जैन अधीक्षण अभियन्ता यूआईटी अलवर ने बताया कि सड़क जहां से धंस गई है या गड्ढे़ अधिक हो गए हैं। वहां पर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी, ताकि आमजन को अधिक परेशानी नहीं हो।
Published on:
22 Aug 2016 04:45 pm
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