
ISRO
जयपुर. चंद्रयान 2 मिशन के उड़ान भरने के बाद दुनियाभर की निगाहें भारत की ओर हैं। इसरो (ISRO) अपने नए मिशन को लेकर आश्वस्त है, साथ ही देश के संस्थानों में रिसर्च की संभावनाएं तलाश रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए इसरो ने देश के पहले रीजनल एकेडमिक सेंटर फॉर स्पेस (आरएसी-एस) की शुरुआत एमएनआईटी (MNIT) में पांच महीने पहले की थी। लेकिन इनॉग्रेशन (Inauguration) के पांच महीने बीत जाने के बाद भी सेंटर के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNIT) और इसरो (ISRO) बेंगलुरू के बीच एमओयू के तहत शुरू हुए सेंटर के लिए अभी वेबसाइट का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि कॉलेबरेटिव इंस्टीट्यूट्स की घोषणा कर दी गई है, जिसमें 11 संस्थानों को शामिल किया गया है, लेकिन स्टूडेंट्स अभी आवेदन की बाट जोह रहे हैं। सेंटर के अधिकारी के अनुसार, 10 अगस्त तक वेबसाइट लॉन्च कर आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
देश का पहला सेंटर
स्पेस में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए इसरो (ISRO) ने स्पेस रिसर्च (SPACE RESEARCH) में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स, फैकल्टीज और रिर्सचर्स के लिए इस सेंटर की शुरुआत की है। इसरो ने वेस्ट रीजन के लिए एमएनआईटी (MNIT) का चयन किया है। सेंटर के जरिए आसपास के इंस्टीट्यूशंस में स्पेस टेक्नोलॉजी और रिसर्च को प्रमोट किया जाएगा। साथ ही यूजी, पीजी, पीएचडी स्टूडेंट्स को स्पेस रिसर्च के लिए ग्रांट भी दी जाएगी। इसरो के की रिसर्च एरियाज मसलन सेंसर, लॉन्च व्हीकल, सोलर पैनल, रिमोट सेंसिंग और अन्य नीड बेस्ड प्रोजेक्ट्स इस सेंटर के जरिए किए जाएंगे। एमएनआईटी (MNIT) से बाहर के स्टूडेंट्स भी इसमें आवेदन कर सकेंगे।
दस साल में 10 इंस्टीट्यूट सैटेलाइट
उल्लेखनीय है कि इसरो (ISRO) यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट सेटेलाइट्स (satellite) प्रोग्राम भी चला रहा है। 2009 से अभी तक इसके जरिए 10 सैटेलाइट (satellite) लॉन्च किए गए हैं। जिसमें अनुसेट, स्टुडसेट, जुगनू, एसआरएमसैट, स्वयं, सत्यबामासेट, पिसेट, प्रथम, नीयूसेट और कलामसेट वी-2 शामिल हैं। हालांकि इसमें राजस्थान का एक भी इंस्टीट्यूट शामिल नहीं है। इसमें ज्यादातर सैटेलाइट (satellite) साउथ और वेस्ट के इंस्टीट्यूशंस ने ही बनाए हैं।
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अभी वेबसाइट बनाई जा रही है। जिसे 10 अगस्त तक लॉन्च किया जाना है। इसके बाद आवेदन शुरू होंगे।
प्रो. रोहित गोयल, रीजनल कॉर्डिनेटर, रीजनल एकेडमिक सेंटर फॉर स्पेस
Published on:
25 Jul 2019 11:24 pm
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