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जंगल में कायम रहेगा वीआईपी कल्चर, जी हूजूरी बंद करने के आदेश हवा

प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने दिए थे बंद करने के आदेश, अब एसीएस ने पलटा फरमान, वीआईपी सफारी से हर माह 60 लाख का नुकसान उठा रहा विभाग

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जंगल में कायम रहेगा वीआईपी कल्चर, जी हूजूरी बंद करने के आदेश हवा

देवेंद्र सिंह राठौड़


जयपुर.प्रदेश के जंगलों में वीआईपी कल्चर खत्म करने के आदेश पर वन विभाग ने यू टर्न ले लिया है। अब सरकारी वाहनों से नि:शुल्क सफारी जारी रहेगी। रोजाना लाखों के राजस्व के नुकसान के बावजूद सरकार ने इसके लिए नया रास्ता खोज लिया है। जिससे महज चार दिन पहले ही जारी हुआ मुख्य वन संरक्षक डीएन पाण्डेय (हॉफ) का आदेश हवा-हवाई हो गया है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को इस संबंध में सीएमओ में वन अफसरों की बीच खींचतान भी हुई है। जिसके बाद यह रास्ता निकाला गया है। मंगलवार को यह दिया था आदेश - वन विभाग के हॉफ पाण्डेय ने वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए झालाना, रणथम्भौर समेत अन्य टाइगर, लेपर्ड रिजर्व में सरकारी वाहनों से नि:शुल्क सफारी पर रोक लगाई थी। जरूरत पड़ने पर नि:शुल्क सफारी के लिए वाहन उपलब्ध कराने का अधिकार मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को दिया था ताकि लापरवाही न हो।


चार दिन पहले यह दिया था आदेश

- मंगलवार को वन विभाग के हॉफ पाण्डेय ने वीआइपी कल्चर को खत्म करने के लिए एक आदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने झालाना, रणथम्भौर, सरिस्का समेत अन्य टाइगर, लेपर्ड रिजर्व में सरकारी वाहनों से नि:शुल्क सफारी पर रोक लगाई थी। जरूरत पडऩे पर नि:शुल्क सफारी के लिए वाहन उपलब्ध कराने का अधिकार मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को दिया था, ताकि लापरवाही न हों।


यह बदला आदेश

शुक्रवार को एसीएस शिखर अग्रवाल ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को एक आदेश जारी कर अभयारण्यों में सरकारी वाहनों से नि:शुल्क सफारी, नि:शुल्क प्रवेश देने का अधिकार स्थानीय स्तर पर उच्च अधिकारियों को वापस देने की बात लिखी। साथ ही उन्होंने नियमित या लंबे समय के लिए अनुमति नहीं देंने, सामान्य परिस्थिति में किसी व्यक्ति को माह में एक या दो बार से ज्यादा सुविधा न देने को भी कहा। इसके बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने बीच का रास्ता निकालते हुए पांच बिन्दुओं का एक प्रपत्र जारी कर दिया। इससे कई सवाल खड़े हो गए हैं।

हर रोज 2 लाख का नुकसान

पता चला कि झालाना, रणथम्भौर में 15 गाड़ियों से मुफ्त सफारी कराई जा रही है। इससे झालाना में दो गाड़ियों से दोनों पारी में 18 हजार व रणथम्भौर में 11 गाड़ियों से दोनों पारी में कुल 2 लाख का नुकसान हो रहा है। महीने में कुल 60 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है।

एसीएस बोले, व्यावहारिक नहीं था आदेश

हॉफ के आदेश में बदलाव नहीं किया गया है। उसे व्यावहारिक बनाने के लिए कहा है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के पास कई अन्य काम भी होते हैं, इसलिए स्वीकृति जारी करने का अधिकारी निचले स्तर पर देने को भी कहा है।

शिखर अग्रवाल,एसीएस, वन विभाग

बड़ा सवाल: क्यों नहीं चाहते खत्म हो वीआईपी कल्चर

हॉफ ने जंगल की मॉनिटरिंग के लिए लगे वाहनों से निशुल्क सफारी बंद करने के आदेश जारी किया था। जिससे मॉनिटरिंग प्रभावित न हो। आदेश में वीआईपी या विशेष परिस्थिति में सफारी के लिए अगर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को स्वीकृति जारी करने का अधिकार दे दिया तो डीएफओ, फील्ड डायरेक्टर आदि को वापस यह अधिकार क्यों दिया गया। इससे साफ तौर पर मनमानी पहले जैसे ही चलेगी। आदेश पूरी तरह बेअसर साबित होगा।

इसलिए लगी थी रोक

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक झालाना और रणथम्भौर समेत अन्य जंगलों में कुछ लोग रोजाना सरकारी वाहनों से सफारी का नि:शुल्क लुत्फ उठा रहे थे। जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। साथ ही जंगल मेें मॉनिटरिंग भी प्रभावित हो रही थी। कारण कि जिन सरकारी वाहनों से सफारी कराई जा रही, उन वाहनों का उपयोग मॉनिटरिंग के लिए किया जाना था।