
जयपुर। अगर आप किसी बच्चे को आंखों पर पट्टी बांधकर किताब पढ़ते देखें तो आश्चर्य की बात नहीं है, यह संभव है। जयपुर में ऐसे कई बच्चे हैं, जो ऐसा कर रहे हैं। यह सब उसी तरह से है जैसे संजय ने युद्ध स्थल पर नहीं होने के बाद भी धृतराष्ट्र को युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाया था। यह सब संभव हुआ है मिड ब्रेन एक्टिवेशन से। जयपुर में ऐसे कई सेंटर्स हैं, जहां बच्चों को यह तकनीक सिखाई जा रही है। इसे इंटयूशन प्रोसेस का नाम भी दिया गया है।
करवाते हैं ये गतिविधियां
हीरालाल एक घंटे की क्लास में ब्रेन जिमिंग की गतिविधियां करवाते हैं। बच्चों से खास तरह के संगीत के बीच वर्ग पहेली,क्विज करवाई जाती है। योगाभ्यास होता है। उन्हें सभी एक्टिविटीज का घर पर भी अभ्यास करने के लिए कहा जाता है। उनके मुताबिक मिड ब्रेन एक्टिवेशन ’ध्यान विज्ञान’ के संयोग से विकसित एक तकनीक है, जिसमें मिड-ब्रेन चेतन और अवचेतन मन के बीच ब्रिज का काम करने लगता है। इससे मेमोरी, कन्संट्रेशन, विजुअलाइजेशन आदि की कला जाग्रत हो जाती है।
50 बच्चे यह विधा सीख चुके
जयपुर के ज्वैलर हीरालाल नाथोलिया के मुताबिक अभी तक 50 बच्चे यह विधा सीख चुके हैं। उन्होंने शुरुआत 11 साल की बेटी भाविका से की। भाविका की आंखों पर पत्रिका संवाददाता ने खुद आंखों पर कॉटन पैड्स लगा कर पट्टी बांधी। पट्टी बंधी होने के बाद भी भाविका ने रंग की पहचान कर ली, चित्र में रंग भी भर लिए, सूई में धागा भी कुछ ही सैंकेड में डाल दिया। नोट का नंबर बताना भी उसके लिए चुटकियों का काम था। भाविका ने ड्राइंग शीट पर तिरंगा झंडा बनाया और उसमें रंग भी भरे।
इंट्यूशन प्रोसेस की क्लास लगाई जाती है
आर्ट ऑफ लिविंग में 5 से 18 साल के बच्चों के लिए इंट्यूशन प्रोसेस की क्लास लगाई जाती है।बच्चों को यह प्रोसेस सिखा रही अलका तेज सिंह के मुताबिक यहां 7 घंटे के कोर्स में प्राणायाम, योग के साथ आवाज यानी ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करवाया जाता है। अब तक एक हजार बच्चे इसे सीख चुके हैं, इससे बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है। कुछ ही समय पूर्व आर्ट ऑफ लिविंग ने इस प्रोसेस की ट्रेनिंग पोद्दार मूक बधिर स्कूल के बच्चों को भी दी थी।
न्यूरोलॉजिस्ट का ये है कहना
हर व्यक्ति में दायां व बायां मस्तिष्क होता है, हम बायें को अधिक काम में लेते हैं और दायें को कम। मध्य मस्तिष्क सबसे सेंसेटिव ऑर्गन है, लेकिन कोई यह कहे कि इसे एक्टिव किया जा सकता है तो मेरी जानकारी में ऐसा संभव नहीं है।
-डॉ. रवींद्र सिंह, न्यूरोलॉजिस्ट, एसएमएस अस्पताल
Published on:
02 Jun 2023 02:46 pm
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