scriptJLF 2024 : ‘जो सैनिक नहीं हैं, वो भी युद्ध का दंश झेलते हैं’ | Jaipur Literature Festival 2024: 'Those who are not soldiers also bear the brunt of war' | Patrika News
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JLF 2024 : ‘जो सैनिक नहीं हैं, वो भी युद्ध का दंश झेलते हैं’

JLF 2024 : उन्होंने लिखा, कैसे एक परिवार के बच्चों को युद्ध के मैदान में झोंक दिया जाता है और पीछे उनकी मां उनके इंतजार में पागल हो जाती हैं। यानी युद्ध सिर्फ उन लोगों को नहीं मार रहा, जो सैनिक हैं, उनको भी मार रहा है जो सैनिक नहीं है, इंतजार करने वाले हैं। वे कहती हैं कि मैंने युद्ध से महिलाओं के जीवन पर होने वाले प्रभाव को इंगित किया हैं।

जयपुरFeb 03, 2024 / 09:00 pm

जमील खान

JLF 2024

JLF 2024 : ‘जो सैनिक नहीं हैं, वो भी युद्ध का दंश झेलते हैं’

Jaipur Literature Festival 2024 : जेएलएफ के तीसरे दिन शनिवार को दरबार हॉल में शाम चार बजे युद्ध के दुख बांटे गए। साथ ही इस पर काम कर रही राजनीति पर विरोध जताया गया। यहां सत्र ‘द डॉग्स ऑफ वॉर’ में लेखक अंजन सुंदरम, ओलेस्या क्रोमेयक, एंटनी लॉयन्सटीन, शिवशंकर मेनन से बात की प्रवीण स्वामी ने। रूस-यूक्रेन यु्द्ध में अपने भाई को खो चुकी लेखक ओलेस्या क्रोमेयक ने कहा कि ‘डेथ ऑफ अ सोल्जर—टोल्ड बाय हर सिस्टर’ में उन्होंने अपनी मां का दर्द बयां किया है।

उन्होंने लिखा, कैसे एक परिवार के बच्चों को युद्ध के मैदान में झोंक दिया जाता है और पीछे उनकी मां उनके इंतजार में पागल हो जाती हैं। यानी युद्ध सिर्फ उन लोगों को नहीं मार रहा, जो सैनिक हैं, उनको भी मार रहा है जो सैनिक नहीं है, इंतजार करने वाले हैं। वे कहती हैं कि मैंने युद्ध से महिलाओं के जीवन पर होने वाले प्रभाव को इंगित किया हैं। उन महिलाओं का दर्द दर्ज किया है, जिन्होंने अपने पति या बेटों को खोया है। यह किताब पूरी तरह से महिला संसार के लिए है।

यहूदी हूं, लेकिन जंग के खिलाफ हूं ‘द पेलेस्टियन लेबोरटरी’ के लेखक एंटनी लॉयन्सटीन ने कहा कि मैं यहूदी भी हूं, एंटीजिओनिस्ट भी हूं और युद्ध विरोधी भी। वे कहते हैं इजराइल ने फिलिस्तीन को एक प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। जहां वो अपनी सारी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर, उसके व्यापार के लिए विज्ञापन कर रहा है। यह दुनिया को हिला देने वाला है। वेस्ट बैंक, गाजा और फिलिस्तीन में लोगों को मारा जा रहा है।

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यह सब इजराइल राष्ट्रवाद के नाम पर कर रहा है। यह राष्ट्रवाद नहीं हत्या करना है। उनकी बात का समर्थन करते हुए शिवशंकर मेनन ने कहा कि आज विश्व में युद्ध का सामान्यीकरण कर दिया गया है। लोगों को यह बहुत आम लगता है, लेकिन यह वीभत्स है। जबकि ज्यादातर देश युद्ध बिना किसी ठोस जानकारी के शुरू कर देते हैं, और इन्हें खत्म करने से पहले मानवता खत्म हो जाती है। लेखक अंजन सुंदरम ने कहा कि युद्ध क्षेत्रों से रिपोर्टिंग करना किसी ट्रोमा से कम नहीं। लोगों को मरते देखने से ज्यादा दहलाने वाला कुछ नहीं होता।

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