अगर पहले फेज की बात करें तो 3 जून 2015 को जब से मानसरोवर से चांदपोल तक जयपुर मेट्रो की शुरूआत हुई है। तब से ही हर साल, हर महीने, हर दिन, प्रत्येक घंटे या यूं कहें कि प्रति मिनट जयपुर मेट्रो को घाटा हो रहा है। हर दिन लगभग 6 लाख का नुकसान जयपुर मेट्रो को हो रहा है, प्रति घंटे लगभग 25 हजार और प्रति मिनट लगभग 416 रूपए। ऐसा नहीं है कि जयपुर मेट्रो ने घाटा दूर करने की कोशिश नहीं की है। बहुत सी स्कीम या प्लान बनाए हैं, लेकिन सब फेल हो गए और घाटा है कि बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में क्या फेज-टू का काम शुरू करना ठीक होगा।
जानकारी के अनुसार दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (JMRC) जयपुर मेट्रो फेज-2 को लेकर नई डीपीआर तैयार कर रही है। नई डीपीआर नवम्बर 2019 में बनकर तैयार होनी थी, जो अब तक नहीं हुई है। जयपुर मेट्रो फेज—2 की अब तक 2 डीपीआर बन चुकी हैं। पहली डीपीआर वर्ष 2012 में बनी थी। इसके बाद वर्ष 2013 में राज्य में सरकार बदल गई। तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2014 में संशोधित डीपीआर बनवाई थी। वर्ष 2018 में फिर राज्य में सरकार बदल गई और अब राज्य सरकार फिर से डीपीआर बनवा रही है। अब देखना होगा कब तक ये डीपीआर तैयार होती है ।
इधर जयपुर के चांदपोल से बड़ी चौपड़ के बीच मेट्रो का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अब मेट्रो प्रशासन रेलवे सेफ्टी कमिश्नर से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहा है। दरअसल, रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की टीम मुम्बई से आएगी और चांदपोल से लेकर बड़ी चौपड़ तक निरीक्षण करेगी। उसके बाद ही मेट्रो का संचालन किया जा सकेगा। निरीक्षण के लिए मेट्रो प्रशासन ने सेफ्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर टीम भेजने का आग्रह किया है। हालांकि, इससे पहले मेट्रो का ट्रायल रन शुरू हो जाएगा।