
रोहिणी नक्षत्र और धृति योग में मनाया शनिदेव का जन्मोत्सव
रोहिणी नक्षत्र और धृति योग में मनाया शनिदेव का जन्मोत्सव
— सुहाग की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा व्रत, वट का किया पूजन
— नवसंवत्सर का पहला सूयग्रहण भी
जयपुर। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) और धृति योग के साथ चतुग्रही योग के बीच शनि महाराज का जन्मोत्सव (Shani Jayanti) मनाया गया। इस दिन नवसंवत्सर का पहला सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) भी हुआ, इसके साथ वट पूजन अमावस्या भी रही। हालांकि सूर्यग्रहण भारत के लद्दाख व पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में ही अल्पग्रास दृश्य हुआ, बाकि भारत में कहीं भी यह दिखाई नहीं दिया, ऐसे में राजस्थान सहित देश के अन्य प्रदेशों में इसका कोई असर नहीं रहा।
शनिदेव के मंदिरों में तेलाभिषेक सहित अन्य अनुष्ठान हुए। भक्तों ने दूर से ही दर्शन कर सुख—समृद्धि की कामना की। मंदिरों में कोरोना से मुक्ति की कामना की गई। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोगों ने तिल, तेल व काले कपड़ों का दान किया। पशु—पक्षियों को दाना—पानी करने के साथ हनुमानजी महाराज की आराधना भी की। वहीं अमावस्या होने से दिनभर दान पुण्य का दौर भी चला। शहर के एमआई रोड, ब्रह्मपुरी, जगतपुरा, गोनेर रोड सहित अन्य जगहों पर स्थित शनि मंदिरों में विशेष आयोजन हुए।
वट पूजन अमावस्या पर महिलाओं ने वट व पीपल के पेड़ की पूजा कर उसके डोरा बांधा और परिक्रमा लगाई। सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाओं ने वट सावित्री व्रत रखा और कहानी सुनी। कुछ महिलाओं ने वट के पत्तों के गहने भी पहने।
Published on:
10 Jun 2021 10:15 pm
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