जयपुर

हाल-ए-एसएमएस अस्पताल: रेफरेंस व्यवस्था रोगियों के लिए सजा, मरीजों की परेशानी समझना किसी की ड्यूटी में नहीं

SMS Hospital Jaipur: कई बार रेफरेंस के लिए डॉक्टर ड्यूटी पर ही नहीं मिलते। इससे मरीजों को कई-कई घंटे इंतजार करना पड़ता है, फिर भी रेफरेंस नहीं हो पाते।

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Jul 23, 2025
SMS Hospital Jaipur (Patrika Photo)

SMS Hospital Jaipur: जयपुर: प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में एक साल पहले धनवंतरी ब्लॉक के कमरा नंबर 60 में भर्ती मरीजों के लिए शुरू की गई रेफरेंस व्यवस्था अब मरीजों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। यह व्यवस्था मरीजों और उनके परिजन को राहत देने के बजाय उन्हें घंटों तक इधर-उधर भटकने पर मजबूर कर रही है।


बता दें कि कई बार रेफरेंस के लिए डॉक्टर ड्यूटी पर ही नहीं मिलते। इससे मरीजों को कई-कई घंटे इंतजार करना पड़ता है, फिर भी रेफरेंस नहीं हो पाते। मंगलवार को राजस्थान पत्रिका के संवाददाता ने इस व्यवस्था की पड़ताल की, जिसमें चौंकाने वाले हालात सामने आए।

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यहां एसएमएस ही नहीं, बल्कि सुपर स्पेशलिटी, कांवटिया, गणगौरी, टीबी और अन्य सरकारी अस्पतालों से भी बड़ी संख्या में मरीज रेफरेंस के लिए आते हैं, लेकिन सिस्टम में कोई ठोस सुधार नहीं किया गया है।


एक साल बाद भी व्यवस्था ट्रायल पर ही


करीब एक साल पहले शुरू हुई इस व्यवस्था के तहत प्रशासन ने दावा किया था कि, धीरे-धीरे सभी बड़े विभाग इसमें शामिल किए जाएंगे। कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और गैस्ट्रो के अलावा ऑर्थोपेडिक, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, ईएनटी सहित अन्य विभागों को भी जोडऩे की बात हुई थी। साथ ही, इसे ऑनलाइन करने के दावे भी किए गए थे, लेकिन आज तक केवल गिने-चुने विभाग जुड़े हैं और ऑनलाइन प्रक्रिया अधूरी है।


मरीज बोले, समझ नहीं आ रहा क्या करें


कैंसर पीड़ित मरीज सतीश कुमार ने बताया कि उसे आधा घंटे बाद वार्ड में इंजेक्शन लगना था, लेकिन वह दो घंटे से रेफरेंस के लिए डॉक्टर का इंतजार कर रहा है। अब यह तय करना मुश्किल हो गया है कि यहीं रुके या वार्ड में चला जाए। वहीं, एक मरीज ने बताया कि एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉक्टर ने फोन पर कहा कि, वे शाम को वार्ड में मिलेंगे।


धनवंतरी ओपीडी के कमरा नंबर 60 में दोपहर 2:30 से 4:30 बजे तक रेफरेंस किए जाते हैं। मंगलवार को जब रिपोर्टर 3:45 बजे वहां पहुंचा तो केवल कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के ही रेफरेंस हो रहे थे। मेडिसिन, एंडोक्राइनोलॉजी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉक्टर अपने कक्षों में मौजूद नहीं थे। मरीज और परिजन निराश होकर बाहर बैठे नजर आए। कर्मचारियों ने बताया कि यह रोज की कहानी है और कई बार शिकायतें भी की जा चुकी हैं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।


क्यों जरूरी है रेफरेंस व्यवस्था


जिन मरीजों की सर्जरी होनी होती है या जिनमें किसी अन्य बीमारी के लक्षण नजर आते हैं, उन्हें संबंधित विभाग को रेफर किया जाता है ताकि विशेषज्ञ जांच और इलाज कर सकें। अस्पताल में रोजाना एक हजार से अधिक रेफरेंस होते हैं, लेकिन फिलहाल यह व्यवस्था मरीजों की तकलीफें कम करने के बजाय और बढ़ा रही है।

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Published on:
23 Jul 2025 12:56 pm
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