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कच्ची बस्ती जस की तस… 200 फीट चौड़ी सड़क 20 फीसदी तक सिमटी, एलिवेटेड रोड अभी सपना

जवाहर नगर-झालाना बाईपास पर बढ़ रहा वाहनों का दबाव, जेडीए मास्टर प्लान के अनुरूप सड़क भी नहीं बनवा पाया

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कच्ची बस्ती जस की तस... 200 फीट चौड़ी सड़क 20 फीसदी तक सिमटी, एलिवेटेड रोड अभी सपना

कच्ची बस्ती जस की तस... 200 फीट चौड़ी सड़क 20 फीसदी तक सिमटी, एलिवेटेड रोड अभी सपना

जयपुर. सुनियोजित विकास का दावा करने वाले जेडीए अधिकारियों के कदम जवाहर नगर-झालाना बाईपास पर आकर रुक जाते हैं। यहां कच्ची बस्तियां जस की तस हैं। जेडीए जवाहर नगर बाईपास को मास्टर प्लान के अनुरूप नहीं बनवा पाया। झालाना बाईपास पर सड़क किनारे अस्थायी अतिक्रमण यातायात में बाधा बने हुए हैं। आलम यह है कि जवाहर नगर बाईपास की सड़क मास्टर प्लान में 200 फीट की है, लेकिन मौके पर यह 40 फीट ही है। अब एलिवेटेड रोड का प्लान बनाया गया है, लेकिन यह सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है।

घोषणा हवा हवाई, धरातल पर कुछ नहीं

- राज्य सरकार ने बजट में जवाहर नगर कच्ची बस्ती टीला नम्बर सात से रोटरी सर्कल तक एलिवेटेड रोड निर्माण के लिए डीपीआर बनाने की घोषणा की। इससे पहले भी इस मार्ग पर एलिवेटेड रोड की घोषणा की जा चुकी है।

-सरकार की घोषणा पर अमल करते हुए नौ जून को जेडीए में पब्लिक वर्क्स कमेटी की बैठक हुई। इसमें पांच करोड़ रुपए से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) की स्वीकृति दी गई।

कहीं 40 तो कहीं 50 फीट ही है सड़क

-मास्टर प्लान में तो जवाहर नगर बाईपास 200 फीट प्रस्तावित है, लेकिन आबादी क्षेत्र में सड़क 40 से 50 फीट ही की नजर आती है।

-आगरा की ओर जाने वाले वाहन चालक जेएलएन मार्ग से जवाहर नगर बाईपास पर आते हैं और यहां से ट्रांसपोर्ट नगर होते हुए टनल में प्रवेश करते हैं, लेकिन जाम की वजह से लोग परेशान भी रहते हैं।

ये महकमे जिम्मेदार
-जयपुर विकास प्राधिकरण
-हैरिटेज नगर निगम

ये होगा फायदा

-गोविंद मार्ग पर भी वाहनों का भारी दबाव रहता है, यदि जेडीए सड़क को मास्टर प्लान के अनुरूप बना दे तो गोविंद मार्ग से वाहनों का दबाव कम हो सकता है।

-मालवीय नगर, जगतपुरा, तिलक नगर, राजापार्क, आदर्श नगर आने-जाने के लिए लोगों को जेएलएन मार्ग पर आने की जरूरत नहीं रहेगी।

-दूरी कम होगी और समय-पेट्रोल भी बचेगा। जेएलएन मार्ग पर ट्रैफिक दबाव कम होगा।

वोटों का खेल
दरअसल, बाईपास के किनारे बसी कच्ची बस्तियां नेताओं के लिए बड़ा वोट बैंक है। इस कारण इन्हें नहीं हटाया जाता है। राजनेताओं की सरपरस्ती के कारण इन बस्तियों के खिलाफ कोई कारगर कार्रवाई भी नहीं हो पाती।