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File Tracking System : Bureaucracy की चतुराई, No Access to Public

जनता से दूर, खुद तक ही सीमित 'फाइल ट्रेकिंग' एक्सेस जयपुर विकास प्राधिकरण में Online सुविधाओं के बावजूद जनता के लिए नहीं फाइल ट्रेकिंग

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जयपुर

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Pawan kumar

Dec 21, 2019

jda jaipur

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तकनीक के दौर में (Technology) जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur Development Authority) लोगों से जुड़ी सेवाओं को (Online) मुहैया करवाने की कवायद में जुटा है। पिछले कुछ अर्से में जेडीए प्रशासन ने पट्टा आवेदन आॅनलाइन करने, जेडीए संपत्तियों की जानकारी आॅनलाइन करने और अतिक्रमण चिन्हित कर उनकी रिपोर्ट आॅनलाइन करने समेत कुछ सेवाओं को आॅनलाइन श्रेणी में शामिल किया है। लेकिन जेडीए प्रशासन ने खुद की फाइलों को ट्रेक करने वाला आॅनलाइन सिस्टम जो जनता के लिए विकसित करना था, उसे खुद तक ही सीमित रख लिया। वर्ष 2015—16 से जेडीए में फाइलों को ट्रेक करने का सिस्टम विकसित करने के दावे किए जा रहे हैं।

इसलिए होनी थी फाइल ट्रेकिंग
जानकारी के अनुसार जेडीए में फाइलें गुम होने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। साथ ही फाइल किस स्टेज पर है और किस अधिकारी या कर्मचारी की टेबल पर है ये पता लगाना मुश्किल काम है। जेडीए में लगे फाइलों के अम्बार के बीच संबंधित फाइल की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए मशक्त करनी पड़ती है। फाइलों के गुम होने की घटनाओं और फाइल निस्तारण में देरी होने की स्थिति को देखते हुए जेडीए में फाइल ट्रेकिंग सिस्टम डवलप करने का आइडिया 2015—16 में आया था। तब इसे लागू करने करने के लिए जेडीए की तकनीकी विंग ने काम भी शुरू किया था। लेकिन बाद में फाइल ट्रेकिंग सिस्टम को जेडीए ने खुद तक ही सीमित रख लिया। आवेदक या फाइल से जुड़े पक्ष को फाइल ट्रेकिंग से बाहर कर दिया गया।


ये था फाइल ट्रेकिंग कॉन्सेप्ट
जेडीए तकनीकी टीम के इंजीनियर्स बताते हैं कि फाइल ट्रेकिंग सिस्टम का मकसद फाइलों की सुरक्षा के साथ—साथ उनका समयबद्ध निस्तारण करना है। प्लान के मुताबिक किसी भी काम या प्रोजेक्ट से संबंधित फाइल जैसे ही जेडीए कार्यालय में आती है तो फाइल नम्बर के साथ उसकी आॅनलाइन एंट्री जेडीए के इंटरनल सिस्टम में होती है। साथ ही जिस विंग या अधिकारी के पास फाइल भेजी जा रही है, उसका नाम और फाइल नम्बर दर्ज होता है। लेकिन फाइल की जानकारी आवेदक या संबंधित पक्ष हासिल नहीं कर सकता है। आवेदकों को अब भी फाइल की स्थिति के बारे में पता करने के लिए जेडीए के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जेडीए में एक शाखा से दूसरी शाखा में जाने वाली फाइल्स के गुम या निस्तारण में देरी होने के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। यदि फाइल ट्रेकिंग सिस्टम तक आवेदक या फाइल से जुड़े संबंधित पक्ष को एक्सेस दी जाए, तो विंग टू विंग ट्रांसफर होने वाली फाइलों की बेहतरीन ढंग से की जा सकती है।

डीडीए में है फाइल ट्रेकिंग सिस्टम
दिल्ली डवलपमेंट अथोरिटी (डीडीए) में फाइल ट्रेकिंग सिस्टम लागू हैं। डीडीए में आने वाली प्रत्येक फाइल की स्थिति आॅनलाइन देखी जा सकती है। डीडीए में फाइल किस स्टेज पर है और किस अधिकारी की टेबल पर है ये पता लगाया जा सकता है। साथ ही ये भी देखा जा सकता है कि फाइल का निस्तारण कब तक होगा। डीडीए की तर्ज पर ही जेडीए में फाइल ट्रेकिंग सिस्टम लाने की कवायद शुरू हुई थी। जो ट्रायल फेज के बाद ही ठंडे बस्ते में डाल दी गई।

अधिकारियों—कर्मचारियों को रास नहीं आया आइडिया
जानकारी के अनुसार जेडीए की तकनीकी विंग ने जब फाइल ट्रेकिंग सिस्टम को लागू करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करना शुरू किया और ट्रायल दिया। तब जेडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों को यह आइडिया पसंद नहीं आया कि लोग उसके कामकाज के बारे में जानें। खुद पर ट्रेकिंग सिस्टम से मॉनिटरिंग का अंदरखाने विरोध शुरू हो गया। इसका परिणाम ये हुआ कि फाइल ट्रेकिंग सिस्टम तक पहुंच से जनता को बाहर कर दिया गया। यदि फाइल ट्रेकिंग सिस्टम तक लोगों की पहुंच हो जाती तो फाइलों को गुम करना या उनके निस्तारण में जानबूझकर देरी करना संभव नहीं होता।

क्या बोले जिम्मेदार —

जेडीए में कुछ अर्सा पहले आंतरिक स्तर पर फाइलों की नम्बरिंग करने का सिस्टम लागू हुआ है। लेकिन आवेदक या लोगों की फाइल तक एक्सेस नहीं दी गई है। अभी तक फाइल ट्रेकिंग सिस्टम लोगों के लिए लागू नहीं किया गया है। सिर्फ जेडीए अधिकारी या कर्मचारी ही फाइल की स्थिति के बारे में पता लगा सकते हैं।
दीपक बाहेती, इंचार्ज, सॉफ्टवेयर विंग, जेडीए