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फादर्स डे: दो मासूमों ने खोया पिता, एक पिता ने बेटा… जहां थी जश्न की तैयारी, वहां अब हर कोना शोक में डूबा

केदारनाथ हैलीकॉप्टर हादसा में जयपुर के पायलट और पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान ने गंवाई जान, 30 जून को थी माता-पिता की शादी की 50वीं सालगिरह, छुट्टी पर आने वाले थे राजवीर

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जयपुर। फादर्स डे की सुबह थी, जब दुनिया अपने पिता को गले लगाकर आभार जता रही थी, उसी सुबह एक पिता ने अपने परिवार के लिए ड्यूटी निभाते हुए जान गंवा दी और एक पिता दुख के सागर में डूब गए। केदारनाथ के घने जंगलों में हुए एक हेलिकॉप्टर क्रैश की खबर ने जयपुर के शास्त्री नगर को गहरे शोक में डुबो दिया। हादसे में जयपुर के 37 वर्षीय पायलट और पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान ने जान गवां दी। सेना में 14 वर्ष तक सेवा देने के बाद राजवीर ने परिवार के लिए निजी क्षेत्र चुना था, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था।

चार महीने पहले बने जुडवां बेटों के पिता

राजवीर की पत्नी दीपिका चौहान स्वयं सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। चार महीने पहले ही उन्होंने जुड़वां बेटों को जन्म दिया था। परिवार में खुशियों की लहर थी। 30 जून को माता-पिता की 50वीं शादी की सालगिरह और नवजात बच्चों के जलवा पूजन का आयोजन तय था। गार्डन बुक हो चुका था, कपड़े सिल चुके थे। लेकिन फादर्स डे पर सुबह 7:30 बजे आई खबर ने सब कुछ बदल दिया।

बीस दिन पहले आए थे घर

राजवीर का जीवन अनुशासन और समर्पण का प्रतीक था। सेना में रहते हुए उन्होंने कई जोखिम भरे मिशन पूरे किए। पिछले वर्ष अक्टूबर में उन्होंने आर्मी एविएशन से रिटायर होकर निजी क्षेत्र में बतौर पायलट काम शुरू किया, ताकि परिवार को समय दे सकें। बीस दिन पहले जब वे घर आए थे, तो जुड़वां बेटों के साथ खेलते वक्त उनकी आंखों में पिता बनने की चमक साफ दिखती थी। लेकिन केदारनाथ यात्रा के दौरान खराब मौसम ने उनके सपनों को अधूरा छोड़ दिया।

पठानकोट में थे तैनात, फिर चुना निजी क्षेत्र

पिता गोविंद सिंह चौहान ने बताया कि राजवीर आर्मी एविएशन में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पठानकोट में तैनात थे। पिछले साल सितंबर में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड में बतौर पायलट कार्यभार संभाला। वे रोजाना घर फोन करते थे।

भाई देहरादून रवाना, डीएनए से होगी पुष्टि

राजवीर के बड़े भाई चंद्रवीर सिंह और अन्य परिजन रविवार शाम 6 बजे की फ्लाइट से देहरादून के लिए रवाना हुए। शव की पहचान होने की स्थिति में सोमवार दोपहर तक अंतिम संस्कार हो सकता है। अन्यथा डीएनए जांच के बाद ही शव परिवार को सौंपा जाएगा।