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गोबर और पंचगव्य से बन रहे दीपक, महिलाएं कमा रहीं प्रतिदिन 500 रु. तक

जयपुर. दीपावली नजदीक है, ऐसे में कोटखावदा स्थित गौड़ का बास की गोशाला में इन दिनों गोबर और पंचगव्य से दीपक और अन्य कलाकृतियां बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है।

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गोबर और पंचगव्य से बन रहे दीपक

जयपुर. दीपावली नजदीक है, ऐसे में कोटखावदा स्थित गौड़ का बास की गोशाला में इन दिनों गोबर और पंचगव्य से दीपक और अन्य कलाकृतियां बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है। इससे गोशाला के साथ-साथ महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। बलराम गो सेवा सदन के सचिव रामदयाल सैन ने बताया कि गोशाला को स्वावलंबी और सशक्त बनाने, गौ गव्य से बनी शुद्ध प्राकृतिक सामग्री को घर-घर पहुंचाने के लक्ष्य को लेकर पिछले दो माह से गोशाला के गोपालक, सामाजिक युवा संगठन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं और किशोरी क्लब की बालिकाएं गोबर और पंचगव्य से दीपक और अन्य कलाकृतियां बनाने में जुटी हुई हैं।
ऐसे हो रहा निर्माण, 200 से 500 रुपए की प्रतिदिन कमाई
सैन ने बताया कि दीपक बनाने के लिए सामान्य उपले बनाकर उसे पीसकर उसमें पंचगव्य मिलाया जाता है। फिर सांचों की मदद से दीपक व अन्य कलाकृतियां बनाकर, सुखाकर उनपर रंग-रोगन किया जाता है। डिजायन के अनुसार दीपक 5 रुपए से 15 रुपए की कीमत में बेचा जा रहा है। इसके अलावा स्वास्तिक, ओम और लक्ष्मी माता के पदचिन्ह भी बनाए जा रहे हैं। गौशाला की ओर से सांचे और जरूरी सामग्री महिलाओं को प्रदान की जा रही है। इस कार्य में महिलाएं प्रतिदिन 200 से 500 रुपए की कमाई सरलता से कर रही हैं।