
'निर्जल' हो रही हमारी धरती, हर साल दो मीटर गिर रहा भूजल स्तर
जयपुर. राजधानी में भूजल स्तर लगातार गड़बड़ा रहा है। हर साल 2 मीटर तक गिर रहा स्तर गम्भीर चिन्ताजनक स्थिति तक पहुंच चुका है। इसके बावजूद अंधाधुंध दोहन हो रहा है। विशेषज्ञों की चिन्ता है कि स्थिति संभाली नहीं गई तो आने वाले समय में नतीजे भयावह होंगे। शहर की बड़ी आबादी रोजना पानी के लिए जूझ रही है। बीसलपुर के पानी से पूर्ति नहीं हुई तो खुद जलदाय विभाग ही विभिन्न इलाकों में ट्यूबवैल लगाकर आपूर्ति करने लगा। रही-सही कसर पानी माफिया पूरी कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। खुद विभाग की सालाना पड़ताल में यह स्थिति सामने आई है।
यह है जलदाय विभाग की व्यवस्था
यहां पेयजल लाइन : परकोटा का अधिकतर हिस्सा, शहर की पॉश कॉलोनियां।
यहां ट्यूबवैलों का सहारा : जगतपुरा, पृथ्वीराजनगर, सांगानेर, वैशालीनगर।
यहां टैंकरों के भरोसे : चारदिवारी का कुछ हिस्सा, ईदगाह, जयसिंहपुरा खोर, आमेर सहित शहर से सटे कई इलाके।
यह है स्थिति
2000 से अधिक निजी नलकूपों से पानी खींचा जा रहा शहर में रोजाना
40 लाख की आबादी है शहर की, जिनमें से ५ लाख से अधिक लोग झेल रहे हैं पानी की किल्लत
15 से अधिक वार्ड हैं नगर निगम के, जिनमें पानी की ज्यादा परेशानी
45.5 करोड़ लीटर पानी आ रहा है बीसलपुर से रोजाना
5.5 लाख पानी के कनेक्शन
07 करोड़ लीटर पानी ट्यूवैल से पहुंचता है लोगों के पास
बोरिंग के लिए जिला कलक्टर से स्वीकृति मिलती है। कार्रवाई के लिए जलदाय विभाग बाध्य नहीं है। हालांकि डार्क जोन में अनुमति के बिना बोरिंग करना गैर कानूनी है।
दिनेश सैनी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जलदाय विभाग
कहां कितना गहरा चला गया पानी
क्षेत्र भूजल स्तर (मीटर में)
झोटवाड़ा 65 से 75
सांगानेर 55 से 60
आमेर 45 से 55
मालवीयनगर 55 से 65
परकोटा 50 से 60
गोनेर का जगदीश तालाब, जो लगभग डेढ़ दशक से पानी को तरस रहा है। केचमेंट एरिया में अतिक्रमण और निर्माण होने के कारण बारिश के दौरान यहां कम ही पानी आ पाता है। जयपुर और आसपास ज्यादातर जल स्रोतों की स्थिति इसी तरह चिन्ताजनक है।
गम्भीर सवाल
पूरा शहर डार्क जोन में है तो निजी नलकूप कैसे खोदे जा रहे हैं? शहर में नियम विपरीत पानी बेचकर चांदी कूटते लोग जिम्मेदारों को नजर क्यों नहीं आते?
Published on:
23 Jun 2018 01:25 pm
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