ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार नवरात्र के छठे दिन दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। मां कात्यायनी की विश्वासपूर्वक पूजा से जहां भौतिक सुख मिलता है वहीं आध्यात्मिक अनुभव भी मिलते हैं। मां कात्यायनी की आराधना बिजनेस ग्रोथ व नौकरी में तरक्की दिलाती है।
मां कात्यायनी की पूजा गोधूली बेला में विशेष फलदायी मानी जाती है। सूर्यास्त के आसपास के इस समय में धूप, दीप, पुष्प आदि से मां की विधिवत पूजा करें। उनके पसंदीदा मिष्ठान्नों का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में कन्याओं में बांटे. इससे उनके आशीर्वाद से आपकी सभी बाधाएं दूर होंगी और सुख प्राप्त होगा।
पसंदीदा मिष्ठान्न, फूल और रंग
मां लाल अथवा पीले परिधान धारण करती हैं. उनकी पूजा पीले अथवा लाल वस्त्र पहनकर करनी चाहिए। मां को पीले अथवा लाल फूल और पीले रंग के नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। मां कात्यायनी को जायफल प्रिय हैं। माता कात्यायनी को शहद सबसे ज्यादा पसंद है.
मां लाल अथवा पीले परिधान धारण करती हैं. उनकी पूजा पीले अथवा लाल वस्त्र पहनकर करनी चाहिए। मां को पीले अथवा लाल फूल और पीले रंग के नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। मां कात्यायनी को जायफल प्रिय हैं। माता कात्यायनी को शहद सबसे ज्यादा पसंद है.
महिषासुर से युद्ध में जब मां थक गईं तो उन्होंने शहद युक्त पान खाया। इससे वे तरोताजा हो उठीं और महिषासुर का वध कर दिया। यही कारण है कि उन्हें शहद युक्त पान अर्पित किया जाता है। उन्हें शहद का भोग जरूर लगाना चाहिए। माता कात्यायनी के समक्ष निम्न मंत्र का जाप करें
चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।