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Mauni Amavasya Significance मौन रहने से प्राप्त होता है यह अहम पद, जानें मौनी अमावस्या का महत्व

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Mauni Amavasya 2022: जानें कब है मौनी अमावस्या, माघ महीने में स्नान-दान का मिलता है विशेष फल

Mauni Amavasya 2022: जानें कब है मौनी अमावस्या, माघ महीने में स्नान-दान का मिलता है विशेष फल

जयपुर. सनातन धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व है। इनमें भी माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या की ज्यादा महत्ता है। इसे माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। माघ मास में यूं तो अनेक पर्व आते हैं पर सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है। इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार माघी अमावस्या के दिन ही संसार के प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था।

ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार अमावस्या को पिंडदान की भी परंपरा है। किसी भी अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण या पिंडदान आदि करने का विधान है। इससे पितर संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं। पितरों की प्रसन्नता से ही जीवन के अवरोध खत्म होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन सुबह स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए और फिर शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत व पूजा का संकल्प लेना चाहिए।

अमावस्या पर शिवपूजा जरूर करें. मध्यान्ह में पितरों का तर्पण करें यानि उन्हें जल अर्पित करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा भी करनी चाहिए. मान्यता है कि पीपल में भगवान शिव, भगवान विष्णु तथा ब्रह्माजी, तीनों देवों का वास होता है। ऐसे में पीपल के पेड़ की पूजा करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानि भगवान शिव तीनों की ही कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है कि पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि माघी या मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का सबसे ज्यादा महत्व है इसलिए इस दिन मौन व्रत रखना चाहिए. यदि ऐसा संभव न हो तो इस दिन यथासंभव चुप रहना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मौन रहकर व्रत और पूजा-अर्चना करने वालों को मुनि पद की प्राप्ति होती है। दरअसल मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। हिंदू कैलेंडर पंचांग के मुताबिक इस बार मौनी अमावस्या में 11 फरवरी को मनाई जा रही है।