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रिकॉर्ड से सदस्य सूची गायब, नई सूची प्रकाशित कर दी

जोन आयुक्त व सोसाइटी अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर

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रिकॉर्ड से सदस्य सूची गायब, नई सूची प्रकाशित कर दी

रिकॉर्ड से सदस्य सूची गायब, नई सूची प्रकाशित कर दी


ओमप्रकाश शर्मा

जयपुर. जयपुर विकास प्राधिकरण के रिकॉर्ड से एक कॉलोनी के सदस्यों की सूची गायब कर नई सूची जोड़ने का मामला सामने आया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सात साल पुरानी शिकायत में आरोप सही मानते हुए एक आरएएस सहित चार जनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर जेडीए जोन 14 के तत्कालीन आयुक्त अवधेश सिंह के अलावा पटेल नगर गृह निर्माण सहकारी समिति के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश कटारिया व प्लाॅटधारी मालवीय नगर निवासी मनोज कुमार अग्रवाल व नीरू अग्रवाल के खिलाफ दर्ज की गई है।

मामले की शिकायत वर्ष 2016 में की गई थी। इसमें आरोप था कि टोंक रोड स्थित इंद्रप्रस्थ विहार योजना में मालवीय नगर निवासी कैलाश चंद, नीरू, मनोज अग्रवाल व चंद्रप्रभा के नाम से भूखंड थे। इन्हें मिलीभगत कर नियम विरुद्ध अंतरण किया गया।

एसीबी जांच में सामने आया कि पूर्व में सोसाइटी की ओर से जेडीए में जो सूची पेश की गई थी उसमें 828 सदस्य थे। यह सूची रिकाॅर्ड पर नहीं है। इसके बाद वर्ष 2013 में समाचार पत्रों में जेडीए ने नई सूची प्रकाशित कर दी। इसमें 439 नाम थे। इसमें शिकायत में बताए गए भूखंड अंकित नहीं थे। एसीबी ने माना कि जेडीए अधिकारियों ने मूल सूची गायब कर सोसाइटी को ओर से पेश सूची को अखबारों में प्रकाशित करवा दिया। एसीबी ने यह भी माना है कि संशोधित सूची में किनको पट्टे जारी किए गए, विस्तृत अनुसंधान से सामने आएगा। भूमि के अंतरण या उपविभाजन से सरकार को करीब चालीस लाख रुपए की स्टांप ड्यूटी की हानि का आकलन किया गया है। कानूनन बिना रजिस्टर्ड डीड के प्लाॅट का उपविभाजन या अंतरण नहीं किया जा सकता।

जांच में यह भी सामने सामने आया कि जेडीए के रिकॉर्ड और सोसाइटी की ओर से एक अन्य मामले में शिवदासपुरा थाने मे पेश रिकॉर्ड में अंतर है। इसके अलावा रिकॉर्ड से सूची गायब होने के मामले की पुष्टि उप रजिस्ट्रार सहकारिता (जेडीए प्रकोष्ठ) की टिप्पणी से भी होती है। उन्होंने टिप्पणी की थी कि रिकॉर्ड में सदस्यों की मूल सूची उपलब्ध नहीं है। इसके बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके साथ ही एसीबी ने माना कि फाइन की नोटशीट में भी गड़बड़ी है। एसीबी ने पीसी एक्ट के साथ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 तथा 120 बी का आरोप माना है।