28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लापता टाइगर टी-65 की मौत

खंडार रेंज के एक तालाब में मिला शवपोस्टमार्टम रिपोर्ट से होगा कारणों का खुलासा

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Rakhi Hajela

Jul 06, 2021

लापता टाइगर टी-65 की मौत

लापता टाइगर टी-65 की मौत



जयपुर, 6 जुलाई
रणथंभौर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park) में बाघ की साइटिंग करने आने वाले वन्यजीव प्रेमियों (wildlife lovers) के लिए बुरी खबर है। अपनी पूंछ से पहचाने जाने वाले पार्क के फेमस टाइगर टी-65 यानी सूरज की मौत हो गई है, उसका शव रणथंभौर के खंडार रेंज में नाका गिलाई वन क्षेत्र क्षेत्र के एक तालाब में पड़ा मिला। टी-65 की तलाश पिछले काफी लंबे समय से की जा रही थी क्योंकि वह अपने इलाके को छोड़कर दूसरे इलाके में चला गया था। दरअसल शव की हालत काफी खराब होने के कारण उसकी पहचान नहीं हो पाई। बाद में मौके पर पहुंचे डीसीएफ महेंद्र शर्मा ने उसकी पहचान की। अब इसकी मौत को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।
वन विभाग के अधिकारियों ने संभावना जताई है कि इलाके को लेकर टी-65 की किसी अन्य बाघ से लड़ाई हुई हो और इसी के चलते उसकी मौत हो गई हो, क्योंकि खंडार इलाके में टी-3 का भी मूवमेंट है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में कई बार टी-38 की भी साइटिंग हुई है और टी-65 के पुत्र टी-123 का इलाका भी यही है। एक कयास ये भी लगाया जा रहा है कि टी-65 किसी मगरमच्छ के हमले का शिकार हुआ हो।
मछली का नाती है टी-65
गौरतलब है कि टी-65 रणथंभौर की मशहूर बाघिन टी-19 का शावक है और फेमस बाघिन मछली का नाती है। इसका जन्म रामबाग में हुआ था। नए इलाके की तलाश में वह अपना क्षेत्र छोड़कर खंडार चला गया था। रणथंभौर में टी-65 को उसकी पूंछ से पहचाना जाता था वह अपनी पूंछ हमेशा हवा में रखता था।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से होगा खुलासा
फील्ड डायरेक्टर टीसी वर्मा के मुताबिक मेडिकल बोर्ड का गठन कर बाघ का राजबाग चौकी में पोस्टमार्टम करवाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही उसकी मौत की सही वजह पता चल सकेगी। फिलहाल बाघ के शव से विसरा सैंपल ले लिए गए हैं।
तीन माह में तीसरी मौत
जानकारी के मुताबिक रणथंभौर में पिछले तीन माह में यह तीसरे बाघ की मौत हुई है। इससे पहले बाघिन टी 60 का एक शावक और टी 10 के शावक की मौत हो चुकी है। इन मौतों के बाद भी यहां बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। तीन माह में कुल 8 शावकों का जन्म भी हुआ है।