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एमएमएमयूटी ने बनाया पहला बायोडिग्रेडेबल ड्रोन

बायोडिग्रेडेबल मटेरियल पॉली लैक्टिक एसिड से ड्रोन तैयार किया। इससे बना ड्रोन खराब होने के छह महीने बाद मिट्टी में बदल जाएगा।

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मदन मोहन मालवीय टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी MMMUT गोरखपुर के छात्रों ने ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जो धरती पर प्लास्टिक और जमीन की उर्वरा को नुकसान पहुंचाने वाला कबाड़ बनने के बजाय मिट्टी के साथ घुल-मिल जाएगा। कार्बन फाइबर से बने परंपरागत ड्रोन कबाड़ होने के बाद मिट्टी में 50 साल तक दबाकर रखने पर भी नष्ट नहीं होते। ये खतरनाक कार्बनिक रसायन छोड़ते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ ऐसी जमीन पर उपजने वाली फसलों से कैंसर की आशंका रहती है।

मिटटी में खत्म हो खाद बनेगा बायोडिग्रेडेबल मटेरियल पॉली लैक्टिक एसिड से तैयार ड्रोन
छात्रों ने बायोडिग्रेडेबल मटेरियल पॉली लैक्टिक एसिड से ड्रोन तैयार किया। इससे बना ड्रोन खराब होने के छह महीने बाद मिट्टी में बदल जाएगा। मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रो.जेपी पांडेय के मुताबिक ड्रोन पर नए अनुसंधान कामयाब रहे तो इसकी उड़ान का समय कई गुना बढ़ जाएगा।

यह है ड्रोन की खासियत

तकनीकी विकास पर काम जारी
ड्रोन की बॉडी की प्रिंटिंग थ्री-डी तकनीक से गई। बॉडी और सेंसर पॉली लैक्टिक एसिड से तैयार किए गए। ड्रोन को तकनीकी रूप से और शक्तिशाली बनाने पर काम चल रहा है। इसमें सोलर पैनल लगाने की भी योजना है। इंडियन मोबाइल कांग्रेस और डिजिटल इंडिया वीक में यह आविष्कार काफी वाहवाही बटोर चुका है।