scriptवोट के लिए विधायकों के ऐशो-आराम पर पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा | Money being shed like water on the luxury of MLAs for votes | Patrika News
जयपुर

वोट के लिए विधायकों के ऐशो-आराम पर पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा

राज्यसभा चुनाव की 4 सीटों के लिए कांग्रेस-भाजपा ने 5 उम्मीदवार मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। कांग्रेस के तीन और भाजपा के एक उम्मीदवार के अलावा भाजपा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। एेसे में वोट हासिंल करने के लिए पांच सितारा होटलों में दोनों दलों की चल रही बाड़ाबंदी में माननीयों के मनोरंजन, खेलकूद और एेशो-आराम पर जमकर पैसा बहाया जा रहा है।

जयपुरJun 08, 2022 / 05:54 pm

Sunil Sisodia

वोट के लिए विधायकों के ऐशो-आराम पर पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा

वोट के लिए विधायकों के ऐशो-आराम पर पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा

जयपुर।

राज्यसभा की 4 सीट और 5 उम्मीदवार। भाजपा-कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को होटलों में कैद कर लिया है। होटले में मौजूद संख्या बल के आधार पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत लग रही है। लेकिन साथ ही दोनों ही दलों को अंदरखाने भितरघात का डर भी सता रहा है। जोड़तोड़-तोड़फोड़ अभी जारी है। इधर, विधायकों के वोट लेने के लिए कांग्रेस-भाजपा अपने विधायकों को पांच सितारा होटलों में पूरा एशो-आराम करा रही हैं। इनकी फरमाइशों पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। सुबह उठने के साथ ही खेलकूद और शाम को डिनर के साथ संगीत व जादू के करते दिखाकर मनोरंजन कराया जा रहा है। इस बाड़ाबंदी में दोनों दलों के 3.50 करोड़ रुपए खर्च होना बताया जा रहा है। इसमें अकेले राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के 3 करोड़ खर्च होंगे।
दूसरी ओर जीत के लिए वोट गणित को देखें तो कांग्रेस को अपने 3 उम्मीदवार जिताने के लिए 123 वोटों की जरूरत है। लेकिन कांग्रेस अपने पास 126 विधायकों का वोट होना का दावा कर रही है। वहीं भाजपा अपने एक उम्मीदवार की जीत तय मान दूसरे अपने समर्थित निर्दलीय सुषाष चन्द्रा की जीत के दावे भी कर रही है। प्रत्येक उम्मीदवार को जीत के लिए 41-41 वोटों की जरूरत है।

बाड़ाबंदी = माननीयों के एशो-आऱाम पर 3.50 करोड़ होंगे खर्च

कांग्रेस = 3 करोड़ की बाड़ाबंदी

150 कमरे उदयपुर के होटल ताज अरावली में 2 से 8 जून (7 दिन) तक के लिए बुक कराए गए हैं
प्रत्येक विधायक को अलग-अलग कमरों में रखा गया है, इसके अलावा उम्मीदवार व स्टाफ के लोग हैं

1 विधायक का प्रतिदिन खाने व रहने का खर्च करीब 20 हजार बताया जा रहा है
30 लाख रोजोना खर्च हो रहे हैं बाड़ाबंदी पर

2 करोड़ 10 लाख रुपए 7 दिन का आएगा खर्जा

1 चार्टर प्लेन किराए पर लेना बताया जा रहा है, जिसका उड़ान खर्च 1 लाख रुपए घंटे है, बस अलग से
3 करोड़ लगभग सभी व्यवस्थाओं को मिलाकर खर्च होना बताया जा रहा है।

भाजपा= 50 लाख की बाड़ाबंदी

62 कमरे जयपुर के होटल देवी रतन में 6 से 9 जून (4 दिन) बुक कराए गए हैं
15 कमरों में वरिष्ठ विधायकों को एक-एक और शेष कमरों में दो-दो विधयाक ठहराए गए हैं

1 कमरे का खर्च रहने और खाने को मिलाकर 15 हजार से अधिक बताया जा रहा है
9 लाख 30 हजार रुपए लगभग प्रतिदिन का खर्च आ रहा है

37 लाख 20 हजार होटल का लगभग खर्चा बताया जा रहा है

12 लाख से अधिक खर्चा अन्य व्यवस्थाओं को लेकर आना बता रहे हैं
50 लगभग कुल खर्च बाड़ाबंदी का आएगा

कांग्रेस-भाजपा में यों चल रही वोटों की जोड़तोड़

राज्यसभा की 4 सीटों पर भाजपा कांग्रेस के 5 उम्मीदवारों में कड़ा मुकाबला है। कांग्रेस ने 3 उम्मीदवार मैदान में उतारें हैं और तीनों को ही जिताने में जुटी है, वहीं भाजपा ने 1 उम्मीदवार उतारा है और 1 निर्दलीय को समर्थन दिया है। भाजपा भी दोनों उम्मीदवारों को जितना चाहती है। इसीलिए यह मुकाबला रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। ये है दोनों की वोट का गणित।
भाजपा…

71 भाजपा के कुल वोट

41 वोट भाजपा उम्मीदवार घनश्याम तिवाड़ी को

30 वोट निर्दलीय सुभाष चन्द्रा को मिलेंगे

जीत का जोड़़…

11 वोट जीतने के लिए चन्द्रा को और चाहिए
3 वोट आरएलपी चन्द्रा को देने का एलान कर चुकी है

8 वोट की और जरूरत (कुछ लोगों से बातचीत चलने का दावा)

कांग्रेस…

108 कांग्रेस के कुल वोट

82 वोट कांग्रेस अपने 2 उम्मीदवारों को दिलाकर जिता देगी
26 वोट बचेंगे कांग्रेस के तीसरे उम्मदीवार के लिए

जीत को जोड़…

15 वोट कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार को जीत के लिए चाहिए

12 वोट कांग्रेस के पास निर्दलीय के, जो अभी बाड़ाबंदी में मौजूद हैं
1 वोट आरएलडी का, जो कांग्रेस का सहयोगी दल है

2 वोट बीटीपी


मुख्यमंत्री-मंत्री बाड़े में, सरकारी कामकाज पड़ा सुस्त
राज्यसभा चुनाव के चलते मुख्यमंत्री और मंत्री-विधायक होटल में बाड़ांबदी में चले गए हैं। इससे राज्य सरकार के कामकाज की रफ्तार धीमी पड़ गई है। पूरी नौकरीशाही की नजर भी चुनाव पर है। इससे रूटिन के काम ही हो रहे हैं। सचिवालय में अधिकारियों में भी गपशप चुनाव और प्रदेश की आगामी राजनीतिक स्थितियों को लेकर चर्चा चल रही है। मंत्री भी विभागीय कामकाज के बजाय चुनावी मंथन में व्यस्त हैं। इससे मंत्री के स्तर पर निकलने वाली फाइलों का टेबलों पर बोझ बढ़ता जा रहा है।

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