
dr. batra
जीवन में कई चीजें हमें बड़ी सीख दे जाती हैं। ये आपके नजरिए पर निर्भर करता है कि आप उन्हें सकारात्मक या नकारात्मक किस तरह से लेते हैं। उदाहरण के लिए इन दिनों एक ड्रॉइंग वायरल हो रही है, जिसमें एक पिता मजदूर की ओर इशारा करते हुए अपने बच्चे से कहता है कि बेटा पढ़ ले, वर्ना एेसा काम करना पड़ेगा। जबकि दूसरे ओर एक मां अपने बच्चे से कह रही होती है कि बेटा तू एेसा काम करना, जिससे इन लोगों की जिंदगी बेहतर बना सके। चीजों को देखने का फर्क ही बड़ा डिफरेंस क्रिएट कर सकता है। यह कहना है जाने माने मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. विजय बत्रा का। फिक्की की ओर से गुरुवार को राजापार्क स्थित एक होटल में आयोजित 'एक्सपैंडिंग होराइजन, अचीविंग ग्रोथÓ कार्यशाला में वे पार्टिसिपेंट्स को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर लीडरशिप और ग्रोथ की बारीकियां सिखाईं। उन्होंने कहा कि खुद को स्ट्रेच करने और चुनौतियों से चिपके रहने का जुनून ही विकास की मानसिकता का प्रतीक है और यदि हम असाधारण वृद्धि का अनुभव करना चाहते हैं, तो विकास की मानसिकता विकसित करना बेहद जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि अपने आप से इस तरह के सवाल करना कि मैं कैसे सुधार कर सकता हूं...या मैं इससे क्या सीख सकता हूं का सीधा कनेक्शन विकास की मानसिकता वाले किसी व्यक्ति का एक हिस्सा है, जो आपको कॅरियर और निजी जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा देता है। इस दौरान बत्रा ने स्विच ऑन, स्विच ऑफ, पजल वर्सेज प्रॉब्लम, बैटर वर्सेज बिटर, चॉइस वर्सेज चांस और सौभाग्य व दुर्भाग्य के फर्क को समझाया। इस दौरान उन्होंने केस स्टडी, वीडियो क्लिप, स्टोरीटेलिंग के माध्यम से वर्कशॉप की रोचकता को बांधे रखा। कार्यशाला के दौरानए फिक्की राजस्थान राज्य परिषद के प्रमुख अतुल शर्मा ने कहा कि फिक्की लंबे समय से ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। इस तरह की कार्यशालाओं में व्यक्ति व्यक्तित्व के प्रेरक पहलुओं को सीखकर अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को और बेहतर बनता है। इसमें राजस्थान के विभिन्न संगठनों के लगभग 75 प्रतिभागियों ने कार्यशाला में भाग लिया।
Published on:
27 Apr 2019 06:38 pm
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