
जयपुर।
आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर में रविवार से नानी बाई का मायरा कथा का शुभारंभ हुआ। नानी बाई रो मायरो के वृतांत के साथ भजनों की मनमोहक प्रस्तुतियों से भक्त भाव-विभोर होते रहे। गोविंददेवजी मंदिर में ऐसा रस बरसाया की सभी घंटों तक एक ही जगह पर जमकर बैठे रहने पर मजबूर हो गए। मौका था नानी बाई रो मायरो कथा का।
व्यासपीठ से पं. उमेश व्यास ने..
भक्त नृसिंहजी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नृसिंहजी ने सामान्य मनुष्य का जीवन जीते हुए भगवान को प्राप्त कर लिया। भक्ति के बलबूते उन्होंने प्रभु के दर्शन किए।
एक बार किसी संत ने दिया था मंत्र ..
हम भी ऐसा कर सकते हैं। जरुरत है तो बस दृढ़ भक्ति की। नृसिंहजी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में एक सम्पन्न नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ। वे बचपन से गूंगे और बहरे थे। एक बार किसी संत ने उन्हें मंत्र दिया। उसका जप करने से उन्हें श्रवण शक्ति के साथ बोलने की शक्ति भी प्राप्त हो गई।
संत की कृपा से जीवन संवर जाता है..
उन्होंने भगवान के इस वरदान को उन्हीं के कार्यों में लगा दिया। उन्होंने कहा कि संत की कृपा से जीवन संवर जाता है। संत के पास जाएं तो मिट्टी का ढेला बनकर जाए।
नृसिंहजी का लालन-पालन उनकी दादी ने किया..
संत मिट्टी के ढेले से ऐसा खिलौना बना देंगे जिससे भगवान भी खेल सकेंगे। कथा प्रसंग को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि माता-पिता से हीन नृसिंहजी का लालन-पालन उनकी दादी ने किया।
अब दादा-दादी का स्नेह और अनुभव नहीं मिल पाता..
दादी और पोते में गहरा लगाव था। लेकिन आज दादा-दादी और पोता-पोती में वह स्नेह नहीं रहा। क्योंकि ज्यादातर लोग आज घरों में कुत्ते पालते हैं और माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं जिससे उन्हें दादा-दादी का स्नेह और अनुभव नहीं मिल पाता।
नानी बाई रो मायरो कथा..
इससे पूर्व मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने पूजन किया। कथा 24 अक्टूबर तक दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक होगी।
Published on:
22 Oct 2017 05:21 pm
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