
नरेश मीणा। फोटो: पत्रिका
देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के मतदान के दौरान बूथ पर एसडीएम को थप्पड़ मारने के आरोप में दर्ज प्रकरण पर राजस्थान हाईकोर्ट ने नरेश मीणा को राहत दी है। हाईकोर्ट ने टोंक स्थित एससी-एसटी कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने यह आदेश निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की रिवीजन याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए पारित किए।
याचिका में मीणा के अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने तर्क दिया कि यह प्रकरण साधारण मारपीट का है, लेकिन पुलिस ने इसे हत्या के प्रयास में बदलकर गंभीर धाराओं में आरोप पत्र पेश कर दिया। उन्होंने अदालत को बताया कि निर्वाचन आयोग के सीसीटीवी फुटेज और तहसीलदार के मोबाइल रिकॉर्डिंग में एसडीएम का गला घोंटने जैसा कोई दृश्य नहीं है। साथ ही, मेडिकल रिपोर्ट में भी किसी प्राणघातक चोट की पुष्टि नहीं हुई।
बता दें कि यह विवाद उस समय शुरू हुआ, जब समरावता गांव के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। नरेश मीणा उनके समर्थन में धरने पर बैठे थे। इस दौरान बूथ पर मौजूद एसडीएम अमित चौधरी से बहस हुई और धक्का-मुक्की के बाद मीणा पर थप्पड़ मारने का आरोप लगा। घटना के बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प भी हुई थी। पुलिस ने नरेश मीणा के खिलाफ कई मामले दर्ज किए और बीएनएस की धारा 109(1) (हत्या के प्रयास) में चार्जशीट दाखिल की।
अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला महज साधारण मारपीट का बनता है, इसलिए हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धारा में आरोप तय करना न्यायसंगत नहीं। हाईकोर्ट ने निचली अदालत की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि इसी मामले में गत 30 मई को हाईकोर्ट ने मीणा की द्वितीय जमानत याचिका मंजूर कर उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
Updated on:
07 Jul 2025 06:50 pm
Published on:
07 Jul 2025 06:42 pm
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