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किसानों को एनसीडीईएक्स ने दिया उचित प्लेटफार्म

देश की सबसे बड़ी मसाला मंडी ऊंझा: रोजाना राजस्थान से जा रही है 8 हजार बोरी

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jaipur

किसानों को एनसीडीईएक्स ने दिया उचित प्लेटफार्म

जयपुर. किसानों एवं व्यापारियों को इस साल जीरे में अच्छा मुनाफा मिल रहा है। जीरे के भाव वर्तमान में 250 रुपए प्रति किलो के पार निकल गए हैं। जानकारों के अनुसार जीरे के ये भाव अभी तक के उच्चतम हैं। देश में 70 फीसदी जीरे की फसल मारवाड़ में होती है। आधुनिक तरीके से की गई खेती ने जीरे की पैदावार में भारी इजाफा किया है। हालांकि इस साल जीरे की पैदावार करीब 50 फीसदी ही हुई है। लिहाजा जीरे के भावों में तेजी का रुख देखा जा रहा है।

एनसीडैक्स निभा रहा है अहम भूमिका

गुजरात के ऊंझा में देश की सबसे बड़ी जीरा मंडी है और एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) यहां किसानों व ट्रेडर्स को जीरे की सही कीमत दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है। एनसीडैक्स के प्लेटफॉर्म पर जीरे की फ्यूचर ट्रेडिंग से इसकी कीमतों को लेकर एक संकेत मिलता है, जिसे जीरे के व्यापार में शामिल किसान से लेकर प्रोसेसर्स तक सभी बेंचमार्क के तौर पर लेते हैं। इसी बेंचमार्क कीमत के आधार पर किसान मंडी में अपनी फसल को लेकर सौदेबाजी करते हैं और अपनी फसल का सही दाम पाते हैं।

राजस्थान के किसानों को मिलता उचित दाम

ऊंझा मंडी में राजस्थान का जीरा, सौंफ और इसबगोल की फसल बड़ी मात्रा में जाती है। दरसअल राजस्थान के किसानों को यहां उचित दाम और एक्सपोर्ट तक की सुविधा मिल जाती है। एनसीडीईएक्स के प्लेटफॉर्म पर डिलीवरी के लिए आने वाली सभी फसलों की क्वालिटी को लेकर एक तय मानक है, जिसका एक्सचेंज सख्ती से पालन करता है।

देश की 70 फीसदी जीरे की फसल मारवाड़ में
60 फीसदी जीरे की खपत घरेलू बाजार में होती है, जबकि 40 प्रतिशत जीरा अमरीका, कनाडा, दक्षिण अमरीका, चीन और अरब देशों को निर्यात होता है। मारवाड़ की मिट्‌टी ने इस वर्ष जीरे की महक से किसानों के चेहरे खिला दिए हैं। भारत में उत्पादित करीब 70 फीसदी जीरा मारवाड़ में होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे की डिमांड बढ़ रही है। फिलहाल जीरे में लोकल एवं एक्सपोर्ट डिमांड कमजोर चल रही है। मांग आने पर जीरा और महंगा होने के संकेत मिल रहे हैं।

पहली बार शुरू हुई है ये पहल
एनसीडीईएक्स के एमडी (मैनेजिंग डायरेक्टर) अरुण रस्ते के मुताबिक किसानों और एफपीओ को डेरिवेटिव मार्केट से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराने के लिए जो कॉल सेंटर शुरू किया गया है, वह अपनी तरह का पहला है। उन्होंने कहा कि इस सुविधा से एनसीडीईएक्स और किसानों के बीच गैप को पाटने में मदद मिलेगी और उन्हें कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के मेनस्ट्रीम में लाएगी। इसका सबसे अधिक फायदा देश के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले किसानों को होगा।