जिले में पैरासिटामोल टेबलेट का स्टॉक कम है। आरएमएससी ने जिला औषधि भंडार को चिकित्सा संस्थानों को एनओसी जारी करने के निर्देश दिए हैं ताकि संस्थान अपने स्तर पर मेडिकेयर रिलीफ फंड से खरीदी कर सकें। अभी औषधि भंडार में प्लेन पैरासिटामोल करीब 5 हजार टेबलेट और कॉम्बिनेशन में लगभग 50 हजार हैं। जबकि जिले में प्रति माह प्लेन टेबलेट का उपभोग 36 हजार है। हालांकि चिकित्सा संस्थानों में करीब 1.5 लाख टेबलेट उपलब्ध होने का दावा किया जा रहा है।
एसआरजी अस्पताल में डेढ़ माह से पैरासिटामोल नहीं है। अधीक्षक डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया, पैरासिटामोल की जगह समान कॉम्बिनेशन व एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं। स्टॉक खत्म होने की सूचना अधिकारियों तक नहीं भेजी गई।
जयपुर में गुरुवार को मुख्य सचिव के साथ आयोजित बैठक में चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता ने कहा कि पैरासिटामोल सहित अन्य दवाओं की प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कोई किल्लत नहीं है।
पैरासिटामोल और डेंगू व मलेरिया की पर्याप्त दवाइयां हैं। पीबीएम में पैरासिटामोल की टेबलेट व ड्रॉप है, लेकिन सीरप नहीं है। बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में नि:शुल्क दवा योजना में 625 प्रकार की जरूरी दवाइयां उपलब्ध हैं।
यहां करीब 5 हजार टेबलेट स्टॉक में हैं, लेकिन आपूर्ति के नाम पर स्टॉक शून्य है। निदेशालय की ओर से उदयपुर को भरतपुर से करीब 2 लाख टेबलेट का स्टॉक देने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन अभी इसकी पालना नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि उदयपुर में पैरासिटामोल इंजेक्शन का चलन कम है। स्टॉक के हिसाब से 60 दवाइयों की कमी है। इनमें से 30 दवाइयां मौसमी बीमारी से जुड़ी हैं।
बूंदी जिला अस्पताल में पैरासिटामोल व सेप्ट्राइक जोन एक ग्राम इंजेक्शन का स्टॉक 8-10 दिन से नहीं है। इसके अलावा यहां दर्द निवारक गोलियां व आवश्यक दवाएं भी खत्म हो गई हैं। अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. ओ.पी. वर्मा ने बताया कि दो दिन पहले ही इंजेक्शन स्टोर में आ गए, लेकिन हेल्पर नहीं होने से दवा वितरण केंद्रों पर इंजेक्शन नहीं पहुंचे हैं। गुरुवार को नया हेल्पर लगाया है। शुक्रवार सुबह सब जगह इंजेक्शन पहुंच जाएंगे।