
Rajasthan Politics: राजस्थान में कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी एक बार फिर चर्चा में आ गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का निलंबन खत्म हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद वे विधानसभा नहीं जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि डोटासरा विधानसभा के अंदर स्पीकर देवनानी द्वारा उन पर की गई टिप्पणी से बेहद आहत हैं। इधर, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज है कि गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच रिश्ते बिगड़ चुके हैं और कांग्रेस में एक नई कलह जन्म ले चुकी है।
राजस्थान पत्रिका से बातचीत के दौरान डोटासरा ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि विधानसभा में उनके खिलाफ हुई चर्चा और 'विधायक बनने लायक नहीं' वाली टिप्पणी ने उन्हें आहत किया है। उन्होंने कहा कि यह उनकी प्रतिष्ठा और स्वाभिमान से जुड़ा मामला है और वे इस पर कानूनी सलाह ले रहे हैं। डोटासरा ने यह भी कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर उनके खिलाफ विधानसभा में चर्चा कराई गई, जिससे वे काफी आहत महसूस कर रहे हैं।
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मूल वजह यही है कि वे सदन से दूरी बनाए हुए हैं। साथ ही गोविंद सिंह डोटासरा स्पीकर वासुदेव देवनानी के व्यवहार से भी खासे नाराज बताए जा रहे हैं। क्योंकि 'विधायक बनने लायक नहीं' वाली टिप्पणी उन्होंने ही सदन में की थी।
वहीं, गोविंद सिंह डोटासरा ने एक्स पर एक पोस्ट लिखा, जिसमें कांस्टीट्यूशन क्लब के दोबारा उद्घाटन के बहाने स्पीकर देवनानी पर जमकर भड़ास निकाली है। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय बनकर तैयार हुए कॉन्स्टीट्यूशन क्लब का उद्घाटन 'दोबारा' तथा कथित शुभारंभ नाम देकर भाजपा सरकार सिर्फ श्रेय लेना चाहती है, जो गलत परंपरा है।
इसी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि कांस्टीट्यूशन क्लब से संबंधित किसी भी निर्णय का अधिकार क्लब के लिए गठित कार्यकारी समिति को है, लेकिन सदन में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा क्लब के उद्घाटन का निर्णय लेना पूरी तरह अनुचित एवं नियमाविरुद्ध है। विधानसभा अध्यक्ष ने निर्णय लेने से पूर्व न तो कार्यकारी समिति की बैठक बुलाई और न ही सदस्यों से राय लेकर सर्वसम्मति बनाई।
डोटासरा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष किसी दल का नहीं होता। सरकार के दबाव में उनके निर्णयों और भूमिका को लेकर बार-बार प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं।
आगे उन्होंने कहा कि सदन में कई दफा विपक्ष को संरक्षण न मिलना, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी जी का अपमान करने वाले मंत्री से माफी न मंगवाना, जनता द्वारा चुने गए सदस्य पर राजनीति टिप्पणी करना एवं किसी जनप्रतिनिधि सदस्य की आवाज़ कुचलने के लिए विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सीधे समिति को भेजना, सरकार के प्रति उनके झुकाव को दर्शाता है एवं संवैधानिक पद की गरिमा का उपहास उड़ाने जैसा है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को राजनीति का हिसा बनना उचित नहीं है।
दरअसल, विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर टिप्पणी को लेकर डोटासरा ने हंगामा किया था। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद हुआ, जिसके चलते डोटासरा समेत छह कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया गया। बाद में समझौते के तहत नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में माफी मांगी, जिसके बाद डोटासरा समेत सभी निलंबित विधायकों की बहाली हो गई। लेकिन डोटासरा जूली की इस माफी से नाराज बताए जा रहे हैं।
राजस्थान कांग्रेस पहले ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की खींचतान से जूझ रही थी, लेकिन अब एक नई गुटबाजी डोटासरा और जूली के बीच शुरू होती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा में डोटासरा और जूली के बीच मतभेद पहले से ही चल रहे थे, लेकिन निलंबन प्रकरण ने इसे और हवा दे दी। जूली की माफी के बाद डोटासरा नाराज हो गए, क्योंकि उन्हें लगा कि उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।
गौरतलब है कि गोविंद सिंह डोटासरा निलंबन खत्म होने के बावजूद विधानसभा नहीं जा रहे। बुधवार को भी वे सदन नहीं पहुंचे और दिल्ली में एक शादी समारोह में शामिल होने चले गए। यह भी संकेत दे रहा है कि वे सदन से दूरी बनाए रखना चाहते हैं। बताते चलें कि डोटासरा और जूली के बीच मतभेद कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। अगर कांग्रेस आलाकमान समय रहते हस्तक्षेप नहीं करता, तो पार्टी में गुटबाजी और गहरी हो सकती है।
Updated on:
05 Mar 2025 06:20 pm
Published on:
05 Mar 2025 06:12 pm
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