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राजस्थान देश का पहला राज्य, जहां गोपालन विभाग का गठन किया गया, गौसेवा के लिए जुटाए 151 करोड़

राजस्थान सरकार ने तस्करी तथा वध से बचाए गए गोवंश के पालन-पोषण के लिए वर्ष 2015-16 से एक अलग योजना प्रारम्भ की है। 1036 गोशालाओं की 4,71,800 गायों एवं गोवंश को चारा-पानी एवं पशुआहार की व्यवस्था यूं हुई...

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vijay ram

Aug 02, 2017

क्षेत्रफल में सबसे बड़ा सूबा राजस्थान गोवंश की देखभाल और गोशालाओं के विकास के लिए नवाचार करने वाला भी अग्रणी प्रांत बना है। ये देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां गोपालन विभाग का गठन किया गया है और गोसेवा के लिए 151 करोड़ रुपये जुटाए गए।


एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां वर्ष 2016-17 से स्टांप ड्यूटी पर 10 प्रतिशत की दर से गोसंरक्षण-संवद्धज़्न अधिभार (सरचार्ज) लगाया गया। इस आय से गोसंरक्षण एवं संवद्र्धन निधि के रूप में गत वित्त वर्ष में 151.60 करोड़ रुपये जुटाए गए।


1036 गोशालाओं में 4,71,800 गायें
अब तक 138.67 करोड़ रुपये गोवंश की देखभाल और गोशालाओं की सार-संभाल पर व्यय किए जा चुके हैं। गोसंरक्षण एवं संवद्धज़्न निधि नियम-2016 के प्रावधानों के अनुसार, पूरे प्रदेश में 1036 गोशालाओं की 4,71,800 गायों एवं गोवंश को चारा-पानी एवं पशुआहार की व्यवस्था के लिए 126.89 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है। साथ ही, 155 अन्य गोशालाओं के लिए भी 11.79 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की जा रही है।


जानकारी में आया कि राज्य सरकार जालोर, सिरोही एवं पाली जिलों की 196 गोशालाओं को इस निधि से 21.24 करोड़ रुपये दे चुकी है। जालोर की गोपाल गोवर्धन गोशाला, पथमेड़ा तथा महावीर हनुमान नंदी गोशाला, गोलासन को हाल ही में 5.03 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। गोलासन स्थित महावीर हनुमान गोशाला को एक माह की अतिरिक्त सहायता राशि भी दी गई है। बाड़मेर और उदयपुर जिले की 44 गोशालाओं को चारे-पानी एवं पशुआहार की व्यवस्था के लिए 4.46 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई है।


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राज्य सरकार ने तस्करी तथा वध से बचाए गए गोवंश के पालन-पोषण के लिए वर्ष 2015-16 से एक अलग योजना प्रारम्भ की है। इसके अंतगज़्त एफआईआर दजज़् होने पर संबंधित बड़े गोवंश के चारा-पानी एवं पशु आहार के लिए 32 रुपये प्रतिदिन तथा छोटे गोवंश के लिए 16 रुपये प्रतिदिन की सहायता राशि एक वर्ष तक की अवधि के लिए दी जाती है।


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