जयपुर। भगवान विष्णु की आराधना, दान पुण्य के लिए खास सालभर की सबसे बड़ी एकादशी आज सर्वार्थसिद्धि, रवियोग सहित अन्य योग में निर्जला एकादशी के रूप में मनाई जा रही है। निर्जला और निराहार व्रत रखकर भक्त ठाकुरजी की भक्ति में लीन हैं। वहीं शहरभर में पुण्य कमाने की होड़ में विभिन्न समाजों की ओर से चौड़ा रास्ता, टोंक रोड, मानसरोवर व जेएलएन मार्ग सहित अन्य जगहों पर स्टॉल लगाकर शर्बत, नींबू पानी वितरित किया जा रहा है। देवालयों में जल का दान करने के साथ ही विशेष झांकियां भी सजाई जा रही हैं। ज्योतिषविदों के मुताबिक इस दिन व्रत रखने वालों को सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य और चौदह एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है।
घड़े और पंखे के दान का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि निर्जला एकादशी के दिन घड़े और पंखों के दान का विशेष महत्व है। पुण्यफल का लाभ देने वाली निर्जला एकादशी के व्रत को महाभारत काल में भीम ने भी किया था। इस कारण इसे पांडव या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। निर्जला एकादशी मंगलवार दोपहर 1.09 बजे से बुधवार दोपहर 1. 47 बजे तक रहेगी। उदियात तिथि के नियमों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत बुधवार को रहेगा। सभी राशि के जातक श्रद्धा के मुताबिक गौसेवा सहित अन्य दान करें।
महाभारत काल से जुड़ी है कथा
वर्ष की कुल 26 एकादशी में से ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी (निर्जला एकादशी) का विशेष महत्व है। इसके व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी है। हिंदू पंचांग के तीसरे महीने ज्येष्ठ में भयंकर गर्मी पड़ने के कारण जल के दान का बहुत अधिक महत्व है। जलदान करने से पितृदोष से मुक्ति भी मिलती है। छाता, जूता और अन्न का दान भी जरूर करें। इस दौरान नौतपा के चलते सूर्य प्रचंड ऊष्मा बिखेरता है, इसीलिए ज्येष्ठ मास में जल संरक्षण को महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि ज्येष्ठ माह में प्राणियों-पक्षियों को जल दान करना लाभकारी है।