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जेडीए के बड़े प्राेजेक्ट में ढिलाई नहीं, थर्ड पार्टी की क्लीन चिट जरूरी

अब बड़े प्रोजेक्ट में ‘चलता है’ वाली सोच नहीं चलेगी। जेडीए ने ठान लिया है कि 10 करोड़ रुपए से ऊपर के काम में थर्ड पार्टी की क्लीन चिट अनिवार्य होगी। सड़क, फ्लाईओवर, सीवरेज और पब्लिक बिल्डिंग तक हर काम की जांच बाहरी विशेषज्ञ करेंगे।

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JDA Office.Jaipur Photo:- Praveen Verma

जयपुर. अब बड़े प्रोजेक्ट में ‘चलता है’ वाली सोच नहीं चलेगी। जेडीए ने ठान लिया है कि 10 करोड़ रुपए से ऊपर के काम में थर्ड पार्टी की क्लीन चिट अनिवार्य होगी। सड़क, फ्लाईओवर, सीवरेज और पब्लिक बिल्डिंग तक हर काम की जांच बाहरी विशेषज्ञ करेंगे। लापरवाह फर्मों को पैनल से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।राज्य में जेडीए पहला प्राधिकरण है, जिसने पहली बार थर्ड पार्टी क्वालिटी ऑडिट की व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। बीते दिनों कार्यकारी समिति की बैठक में फैसले पर मुहर लग चुकी है। जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की निजी फर्मों को शामिल किया जाएगा।

इन सभी की होगी निगरानी
-सड़क निर्माण: 10 करोड़ रुपए या अधिक लागत के काम के दौरान डामर की गुणवत्ता, सड़क की कॉम्पैक्शन और स्ट्रक्चरल कम्पोनेंट्स की जांच की जाएगी।
-रेलवे ओवरब्रिज व फ्लाईओवर: 25 करोड़ रुपए या अधिक लागत के प्रोजेक्ट में स्ट्रक्चरल सेफ्टी और लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस की जांच होगी।

-पब्लिक बिल्डिंग: 20 करोड़ रुपए या अधिक लागत आरसीसी क्वालिटी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और प्लम्बिंग कार्यों की जांच थर्ड पार्टी से करवाई जाएगी।
-हाउसिंग प्रोजेक्ट: 20 करोड़ या अधिक लागत या 50 से अधिक यूनिट निर्माण पर फाउंडेशन, कंक्रीट, वॉटरप्रूफिंग और फिनिशिंग की जांच की जाएगी।
-सीवरेज व ड्रेनेज प्रोजेक्ट: 15 करोड़ रुपए या अधिक लागत पर सभी तकनीकी और पहलुओं की जांच करवाई जाएगी।

उद्यान शाखा भी आएगी जांच के दायरे में
उद्यान शाखा की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठते हैं। जेडीए प्रशासन ने अर्बन लैंडस्केपिंग को जांच में दायरे में लिया है। 5 करोड़ रुपए या अधिक लागत के पार्क, लेक फ्रंट, स्ट्रीट स्केपिंग, स्मार्ट रोड और जंक्शन पुनर्विकास के दौरान मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, प्लम्बिंग और यूटिलिटी कार्य भी दायरे में आएंगे।

ये करेंगी फर्म
-निर्माण सामग्री की गुणवत्ता जांच
-साइट पर आकस्मिक निरीक्षण

जांच करने वालों पर भी नजर
इनकी हर तीन माह में समीक्षा की जाएगी। इंटरनल ऑडिट सेल और मॉनिटरिंग कमेटी इनके कामकाज को देखेगी। जो फर्म काम में लापरवाही बरतेगा, उसको पैनल से हटाया जाएगा। समीक्षा जोन के अतिरिक्त मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और गुणवत्ता नियंत्रण प्रकोष्ठ के अधिकारी करेंगे। रिपोर्ट जेडीए कार्यालय को भेजी जाएगी।