8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पिता के फोन न दिलाने पर नाराज 15 साल का किशोर घर से दूर रहा, फुटपाथ पर रातें बिताईं, होटल में बर्तन धोए

16 दिनों तक उसने फुटपाथ पर रातें बिताईं, होटल में बर्तन धोए, वेटर बना साइट पर मजदूरी की, और जैसे-तैसे अपना गुजारा किया। घर आते ही परिवार से लिपटकर खूब रोया।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Rajesh Dixit

Dec 12, 2024

जयपुर। पिता ने 15 साल के बेटे को फोन नहीं दिलाया तो बेटा घर छोडकऱ चला गया। सोलह दिन के बाद पुलिस उसे तलाश कर लाई। घर आते ही परिवार से लिपटकर खूब रोया। खर्चा चलाने के लिए होटल पर मजदूरी की, रेस्टोरेंट पर कप धोए । मामला जोधपुर का है। परिवार और पुलिस ने अब राहत की सांस ली है। पूरा मामला सूरसागर थाना इलाके का है।
पुलिस ने बताया कि इन दिनों लापता बच्चों और लोगों की तलाश के लिए ऑपरेशन उमंग चतुर्थ चल रहा है। इसी के तहत अलग से टीमें लगाई गई हैं जो सिर्फ लापता लोगों को तलाश रही है। पंद्रह साल का जो किशोर घर छोडकऱ गया वह 25 नवंबर को पिता की कंस्ट्रक्शन साइट देखने का बहाना बनाकर घर छोड़ा। लेकिन न वह साइट पर पहुंचा और न ही घर लौटा। परिजनों ने काफी खोजबीन के बाद जब कोई जानकारी नहीं मिली तो 26 नवंबर को सूरसागर थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करवाया।

किशोर अपने परिजनों से मोबाइल दिलाने की करता था मांग

परिवार से पूछताछ की गई तो पुलिस को पता चला कि किशोर अपने परिजनों से मोबाइल दिलाने की मांग करता था। इसके साथ ही वह दोस्तों के साथ घूमने-फिरने की आजादी चाहता था। परिजनों ने न केवल मोबाइल दिलाने से मना कर दिया,बल्कि उसकी गतिविधियों पर रोक भी लगा दी। नाराज होकर किशोर ने घर छोडऩे का फैसला कर लिया। उसके बाद वह घर छोड़ गया। जोधपुर पुलिस की टीम ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर किशोर का रूट मैप तैयार किया और शहर भर में उसकी तलाश शुरू की।

एक होटल पर की मजदूरी

जब किशोर को दस्तयाब किया गया तो पता चला कि किशोर ने कुछ दिन चौपासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में एक होटल पर मजदूरी की। इसके बाद वह जयपुर चला गया और वहां छोटे-मोटे काम कर अपना गुजारा करता रहा। कुछ दिन पहले ही वह जोधपुर लौटा और किराए का कमरा लेकर रहने लगा। वह घर नहीं आना चाहता था। उपर से स्कूल जाना भी बंद कर दिया। लेकिन पैसा तेजी से खत्म हो रहा था।
आखिर पुलिस ने उसे दस्तयाब कर लिया और अब परिजनों को सौंपा है। परिजनों ने पुलिस को धन्यवाद दिया और राहत की सांस ली।

एक सीख छोड़ता है यह मामला

यह घटना सिर्फ किशोर की नाराजगी की कहानी नहीं, बल्कि परिवार और बच्चों के बीच संवाद की कमी पर भी सवाल खड़े करती है। आधुनिक तकनीक के प्रति बच्चों का आकर्षण और माता-पिता की सीमाएं, दोनों के बीच तालमेल जरूरी है। इस घटना ने यह भी दिखाया कि पुलिस और समाज के प्रयास मिलकर हर चुनौती का समाधान निकाल सकते हैं।

यह भी पढ़ें: मानवता शर्मसार: एक महीने में चौथी वारदात, चार साल की मासूम से दरिंदगी, कब रुकेगी यह बर्बरता ?