
NRC: विदेशी घोषित किए गए तो क्या होगा?
NRC:असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानी एनआरसी को लेकर पूरे सूबे में बेचैनी है... इसके चलते राज्य के अधिकतर इलाकों में संभालने के लिए धारा 144 लगा दी है... आपको बताते हैं एनआरसी में जगह न पाने वालों के लिए क्या होगा विकल्प...
एनआरसी लिस्ट में जगह न पाने का यह अर्थ नहीं होगा कि ऐसे लोगों को विदेशी घोषित कर दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसे लोगों को फ ॉरेन ट्राइब्यूनल में अपना केस पेश करना होगा। यह भी बता दें इसके अलावा राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि लिस्ट से बाहर रहने वाले लोगों को किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा। फ ॉरेन ट्राइब्यूनल्स का फैसला आने तक उन्हें छूट दी जाएगी।
शेड्यूल ऑफ सिटिजनशिप के सेक्शन 8 के मुताबिक लोग एनआरसी में नाम न होने पर अपील कर सकेंगे।
अपील के लिए समयसीमा को अब 60 से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया है यानी 31 दिसंबर, 2019 अपील के लिए लास्ट डेट होगी। गृह मंत्रालय के आदेश के तहत 1,000 ट्राइब्यूनल्स का गठन एनआरसी के विवादों के निपटारे के लिए किया गया है। यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल में केस हार जाता है तो फिर उसके पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प होगा। सभी कानूनी विकल्प आजमाने से पहले किसी को भी हिरासत में नहीं लिया जाएगा। असम सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई परिवार गरीब है और कानूनी जंग नहीं लड़ सकता है तो उसे मदद दी जाएगी। एनआरसी से बाहर रहने वाले मूल निवासियों की को सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दलों ने मदद का भरोसा दिया है।
क्या हैं फॉरेन ट्राइब्यूनल्स
असम समझौते के मुताबिक फॉरेन ट्राइब्यूनल्स अर्ध न्यायिक संस्थाएं है, जिसे सिर्फ नागरिकता से जुड़े मसलों की सुनवाई का अधिकार दिया गया है। ट्राइब्यूल्स की ओर से विदेशी घोषित किए जाने के बाद किसी भी शख्स को एनआरसी में जगह नहीं दी जाएगी। इसके अलावा यदि किसी शख्स को लिस्ट में जगह मिलती और ट्राइब्यूनल से उसकी नागरिकता खारिज होती है तो फिर ट्राइब्यूनल का आदेश ही मान्य होगा।
विदेशी घोषित किए गए तो क्या होगा?
राज्य सरकार कई जगहों पर ऐसे डिटेंशन सेंटर बना रही है, जहां विदेशी घोषित किए गए लोगों को रखा जाएगा।
सभी कानूनी विकल्पों के बाद विदेशी घोषित लोगों को ही यहां रखा जाएगा। हालांकि ऐसे लोगों को किस तरह से भारत से बाहर किया जाएगा, इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। इसकी वजह यह है कि भारत के साथ बांग्लादेश का ऐसा कोई करार नहीं है, जिससे इन लोगों को वहां भेजा जा सके।
Updated on:
31 Aug 2019 10:53 am
Published on:
31 Aug 2019 10:52 am
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