
जयपुर। राजधानी जयपुर में बसों के भार को कम करने का सपना अभी कम से कम तीन वर्ष तक पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। पिछले तीन वर्ष में केवल एक ही बस टर्मिनल का निर्माण किया गया है, जबकि परिवहन विभाग ने तीन की जगह को उपयुक्त नहीं माना है। विभाग ने पुराने आवंटन को रद्द करने और नए आवंटन के लिए जेडीए को फिर से पत्र लिखा गया है। अब जेडीए एक बार फिर से संभावित स्थानों का दौरा करेगा और उसके बाद ही जमीन का आवंटन किया जाएगा।
रिपोर्ट में बताया असंगत
दरअसल, जेडीए से जमीन का आवंटन होने के बाद जेडीए से जमीन का आवंटन होने के बाद परिवहन विभाग ने रिट्स लिमिटेड से बस टर्मिनल के लिए रिपोर्ट तैयार करवाई। इस रिपोर्ट में कानोता, शिवदासपुरा और अचरोल की जमीन को बस टर्मिनल के लिए असंगत बताया गया। इसके आधार पर 22 अगस्त को प्रादेशिक परिवहन अधिकारी ने जेडीए को पत्र लिखकर नई जगह मांगी।
पहले आवंटित स्थान vs नई मांग:
दिल्ली रोड, अचरोल: 10,000 वर्ग मीटर → अब 30 किमी पहले दिल्ली रोड, सड़वा मोड़ के आस-पास
टोंक रोड, शिवदासपुरा: 10,000 वर्ग मीटर → अब 10 किमी पहले टोंक रोड, सीतापुरा के आस-पास
आगरा रोड, कानोता: 10,023 वर्ग मीटर → अब: सीकर रोड, टोडी मोड़ के आस-पास
(तीन वर्ष पहले जेडीए ने बस टर्मिनल के लिए जमीन आवंटित की थी, जिसमें से केवल हीरापुरा में टर्मिनल बनकर तैयार हुआ है। अब जिन जगहों पर जमीन जेडीए से मांगी है, वहां इतनी जमीन मिलना आसान नहीं है।)
टीसीबी की बैठक में उठे मुद्दे
हाल ही ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड (टीसीबी) की बैठक में नए सिरे से जमीन आवंटन का मुद्दा उठाया गया। जेडीए अधिकारियों ने कहा कि पहले भी जमीन का आवंटन परिवहन विभाग की मांग के अनुरूप किया गया था। इस पर परिवहन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त दौरा कर संभावनाओं की तलाश करने पर सहमति व्यक्त की है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह अधिकारी प्रस्तावित स्थानों का दौरा करेंगे।
हीरापुरा बस टर्मिनल का संचालननवंबर
टीसीबी की बैठक में एनएचएआइ के अधिकारियों ने बताया कि अजमेर रोड स्थित कमला नेहरू पुलिया का काम 15 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इस बाद हीरापुरा बस टर्मिनल से बसों का संचालन शुरू हो सकेगा। यदि एनएचआइ ने तय समय पर काम खत्म कर दिया, तो बसों का संचालन नवम्बर में ही शुरू हो जाएगा।
पत्रिका व्यू: इस देरी के लिए जिम्मेदार कौन?
जेडीए ने तीन वर्ष पहले चार बस टर्मिनल के लिए जमीन आवंटित की थी, जिनमें से एक का काम पूरा हो गया है। अन्य तीन टर्मिनल के लिए अब भी जमीन की लड़ाई चल रही है। यदि परिवहन विभाग ने समय पर सही जगह का चयन किया होता, तो यह देरी नहीं होती। सवाल यह है कि तीन वर्ष पहले जब जेडीए से जमीन मांगी गई थी, उस समय क्या परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मौका निरीक्षण नहीं कराया था? इस देरी के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या शहर में ऐसे ही बसें दौड़ती रहेंगी? कब योजनाएं कागजों से धरातल पर उतरेंगी?
Updated on:
12 Oct 2024 01:54 pm
Published on:
12 Oct 2024 01:09 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
